परन्तु उसने प्रभु की आज्ञा के अनुसार, जो मूसा के व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखी है, उन हत्यारों के पुत्रों का वध नहीं किया। प्रभु ने यह आज्ञा दी थी : ‘पुत्रों के पाप के लिए पिता को मृत्यु-दण्ड नहीं दिया जाएगा, और न पिता के पाप के लिए पुत्रों को मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को उसके ही पाप के लिए मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।’
केवल पाप करनेवाला प्राणी ही मरेगा। पिता के अधर्म का फल पुत्र कदापि नहीं भोगेगा, और न ही पुत्र के अधर्म का दण्ड पिता को मिलेगा। किन्तु धार्मिक व्यक्ति को उसके धर्म का फल और दुर्जन को उसके पाप का फल मिलेगा।
‘यदि मैं धार्मिक मनुष्य से कहूँ कि तू जीवित रहेगा, और वह अपनी धार्मिकता पर भरोसा करके अधर्म करे, तो उस के सत्कर्म उसको नहीं बचा सकेंगे। मैं उन को स्मरण नहीं करूंगा। वह अपने अधर्म में मरेगा।
यदि मैं दुर्जन से कहूंगा, “ओ दुर्जन, तू निस्सन्देह मरेगा” , और यदि तू दुर्जन को सावधान नहीं करेगा कि वह अपना बुरा मार्ग छोड़ दे, तो ओ मानव-पुत्र, वह दुर्जन तो अपने अधर्म में मरेगा ही, किन्तु मैं उसकी मौत का जिम्मेदार तुझे ठहराऊंगा, और उसके खून का लेखा तुझ से लूंगा।
‘पुत्र के पाप के लिए पिता को मृत्यु-दण्ड नहीं दिया जाएगा, और न पिता के पाप के लिए पुत्र को। प्रत्येक व्यक्ति को उसके ही पाप के लिए मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा।