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यिर्मयाह 31:30 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

30 किन्‍तु अब पाप करनेवाला व्यक्‍ति स्‍वयं अपने पाप का फल भोगेगा, और मरेगा। दुष्‍कर्म करनेवाला अपने दुष्‍कर्म का फल पाएगा।’

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पवित्र बाइबल

30 किन्तु हर एक व्यक्ति अपने पाप के लिये मरेगा। जो व्यक्ति खट्टे अंगूर खायेगा, वही खट्टे स्वाद के कारण अपने दाँत घिसेगा।”

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Hindi Holy Bible

30 क्योंकि जो कोई जंगली दाख खाए उसी के दांत खट्टे हो जाएंगे, और हर एक मनुष्य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

30 क्योंकि जो कोई जंगली दाख खाए उसी के दाँत खट्टे हो जाएँगे, और हर एक मनुष्य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

30 किंतु हर एक की मृत्यु का कारण होगा स्वयं उसी की पापिष्ठता; हर एक व्यक्ति, जो खट्टे अंगूर खाएगा, दांत उसी के खट्टे होंगे.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

30 क्योंकि जो कोई खट्टे अंगूर खाए उसी के दाँत खट्टे हो जाएँगे, और हर एक मनुष्य अपने ही अधर्म के कारण मारा जाएगा।

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यिर्मयाह 31:30
14 क्रॉस रेफरेंस  

परन्‍तु उसने प्रभु की आज्ञा के अनुसार, जो मूसा के व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ में लिखी है, उन हत्‍यारों के पुत्रों का वध नहीं किया। प्रभु ने यह आज्ञा दी थी : ‘पुत्रों के पाप के लिए पिता को मृत्‍यु-दण्‍ड नहीं दिया जाएगा, और न पिता के पाप के लिए पुत्रों को मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा। प्रत्‍येक व्यक्‍ति को उसके ही पाप के लिए मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा।’


वे अपनी आंखों से अपने विनाश को देखें; वे अपने ओंठों से सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के कोप का प्‍याला पिएँ!


दुर्जन को धिक्‍कार है; क्‍योंकि उसका बुरा होगा। जैसा उसने किया है, वैसा ही उसके साथ किया जायेगा।


केवल पाप करनेवाला प्राणी ही मरेगा। पिता के अधर्म का फल पुत्र कदापि नहीं भोगेगा, और न ही पुत्र के अधर्म का दण्‍ड पिता को मिलेगा। किन्‍तु धार्मिक व्यक्‍ति को उसके धर्म का फल और दुर्जन को उसके पाप का फल मिलेगा।


देखो, सब प्राणी मेरे ही हैं। पिता का प्राण और पुत्र का प्राण, दोनों पर मेरा ही अधिकार है। इसलिए जो प्राणी पाप करता है, केवल वही मरेगा।


किन्‍तु आत्‍मा ने मुझ में प्रवेश किया और मुझे पैरों पर खड़ा कर दिया, और मुझ से बातें कीं। उसने मुझ से कहा, ‘अपने घर जा, और द्वार बन्‍द कर भीतर बैठ।


‘यदि मैं धार्मिक मनुष्‍य से कहूँ कि तू जीवित रहेगा, और वह अपनी धार्मिकता पर भरोसा करके अधर्म करे, तो उस के सत्‍कर्म उसको नहीं बचा सकेंगे। मैं उन को स्‍मरण नहीं करूंगा। वह अपने अधर्म में मरेगा।


यदि कोई धार्मिक मनुष्‍य न्‍याय और धर्म के आचरण को छोड़कर अधर्म के कार्य करेगा, तो वह उसके कारण अवश्‍य मरेगा।


यदि मैं दुर्जन से कहूंगा, “ओ दुर्जन, तू निस्‍सन्‍देह मरेगा” , और यदि तू दुर्जन को सावधान नहीं करेगा कि वह अपना बुरा मार्ग छोड़ दे, तो ओ मानव-पुत्र, वह दुर्जन तो अपने अधर्म में मरेगा ही, किन्‍तु मैं उसकी मौत का जिम्‍मेदार तुझे ठहराऊंगा, और उसके खून का लेखा तुझ से लूंगा।


क्‍योंकि हर एक को अपना भार स्‍वयं उठाना होगा।


‘पुत्र के पाप के लिए पिता को मृत्‍यु-दण्‍ड नहीं दिया जाएगा, और न पिता के पाप के लिए पुत्र को। प्रत्‍येक व्यक्‍ति को उसके ही पाप के लिए मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा।


वासना के गर्भ से पाप का जन्‍म होता है और पाप विकसित हो कर मृत्‍यु को जन्‍म देता है।


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