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याकूब 1:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

19 मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप यह अच्‍छी तरह समझ लें। प्रत्‍येक व्यक्‍ति सुनने के लिए तत्‍पर रहे, किन्‍तु बोलने और क्रोध करने में देर करे;

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पवित्र बाइबल

19 हे मेरे प्रिय भाईयों, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो।

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Hindi Holy Bible

19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जान लो : हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीर और क्रोध में धीमा हो,

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नवीन हिंदी बाइबल

19 हे मेरे प्रिय भाइयो, तुम यह जान लो कि प्रत्येक मनुष्य सुनने में तत्पर, बोलने में धीरजवंत और क्रोध करने में धीमा हो;

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सरल हिन्दी बाइबल

19 प्रिय भाई बहनो, यह ध्यान रहे कि तुम सुनने में तत्पर, बोलने में धीर तथा क्रोध में धीमे हो,

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याकूब 1:19
54 क्रॉस रेफरेंस  

पर्व के पहले दिन से अन्‍तिम दिन तक एज्रा ने परमेश्‍वर के व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ का पाठ किया। लोगों ने सात दिन तक पर्व मनाया, और धर्म-विधि के अनुसार उन्‍होंने पर्व के आठवें दिन धर्म-महासम्‍मेलन का आयोजन किया।


उन्‍होंने तेरी आज्ञाओं की अवहेलना की; जो आश्‍चर्यपूर्ण कार्य तूने उनके मध्‍य किए थे, उन्‍होंने उनकी उपेक्षा कर दी। वे ढीठ बन गए, उन्‍होंने तेरे नेतृत्‍व के प्रति विद्रोह कर दिया; और मिस्र की गुलामी में लौटने के उद्देश्‍य से एक नेता को नियुक्‍त किया। पर परमेश्‍वर, तू तो सदा क्षमाशील है, अनुग्राही और दयालु, विलम्‍ब से क्रोध करनेवाला और करुणासागर है। तूने उनको नहीं त्‍यागा।


उन्‍होंने अपने-अपने स्‍थान पर खड़े होकर प्रभु परमेश्‍वर के व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ का पाठ एक पहर तक किया। दिन के दूसरे पहर तक वे पाप स्‍वीकार करते और प्रभु परमेश्‍वर की आराधना करते रहे।


वे चुपचाप खड़े हैं, और उत्तर नहीं दे रहे हैं। वे चुप हैं तो क्‍या मैं भी चुप रहूं और प्रतीक्षा करूं?


जो मनुष्‍य अधिक बोलता है, वह अपराध करने से बच नहीं सकता; पर अपनी जीभ को वश में रखनेवाला मनुष्‍य बुद्धिमान है!


अपनी वाणी पर संयम रखनेवाला मनुष्‍य अपने जीवन की रक्षा करता है; पर व्‍यर्थ गाल बजानेवाला व्यक्‍ति अपने ही पैरों पर कुल्‍हाड़ी मारता है।


जो मनुष्‍य तुरन्‍त क्रोध करता है, वह मूर्खता का कार्य करता है; किन्‍तु जिसमें विवेक है, वह धीरज रखता है।


जो व्यक्‍ति विलम्‍ब से क्रोध करता है वह बड़ा समझदार है; पर तुरन्‍त क्रुद्ध होनेवाला मनुष्‍य केवल अपनी मूर्खता को प्रकट करता है।


उग्र स्‍वभाव का मनुष्‍य झगड़े की आग को भड़काता है; परन्‍तु विलम्‍ब से क्रोध करनेवाला व्यक्‍ति उसको मधुर वचन से बुझा देता है।


बुद्धिमान के कंठ से ज्ञान की धारा प्रवाहित होती है; किन्‍तु मूर्ख अपने मुंह से केवल मूर्खता ही निकालता है।


विलम्‍ब से क्रोध करनेवाला मनुष्‍य महा योद्धा से श्रेष्‍ठ है; अपने मन पर संयम रखनेवाला मनुष्‍य उस विजेता से श्रेष्‍ठ है जो नगर को जीतता है।


लड़ाई-झगड़े का आरम्‍भ मानो बान्‍ध के छेद के समान है, अत: उसके फूटने के पहले ही वहाँ से हट जाओ!


जो मनुष्‍य अपनी वाणी पर संयम रखता है, वह ज्ञानी है; जिसका मन शान्‍त रहता है, वह समझदार है।


जो मनुष्‍य प्रश्‍न सुनने के पहले उत्तर देता है, वह लज्‍जित होता, और मूर्ख कहलाता है।


जीभ के वश में मनुष्‍य का जीवन और मृत्‍यु दोनों हैं; और जो मनुष्‍य अपनी जीभ का प्रयोग जानता है उसको उचित फल प्राप्‍त होता है।


जो मनुष्‍य सद्बुद्धि से काम लेता है, वह विलम्‍ब से क्रोध करता है; दूसरे के अपराध को भुलाना, उसको शोभा देता है।


जो मनुष्‍य बड़ा क्रोधी है, उसे क्रोध का फल भोगना ही पड़ेगा; यदि तुम उसे एक बार बचाओगे, तो उसे बार-बार बचाना पड़ेगा।


जो मनुष्‍य अपने मुह में लगाम देता है, और जीभ को वश में रखता है, वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है।


जो मनुष्‍य अपने पर संयम नहीं रखता, वह उस तहस-नहस नगर के समान है, जिसकी शहरपनाह ध्‍वस्‍त कर दी गई है।


जो मनुष्‍य बातें करने में जल्‍दीबाजी करता है, वह मूर्ख से भी गया-बीता है; उसका भविष्‍य अन्‍धकारमय है।


जब गदही ने प्रभु के दूत को देखा तब वह बिल्‍आम के नीचे बैठ गई। बिल्‍आम का क्रोध भड़क उठा। उसने छड़ी से गदही को मारा।


परन्‍तु मैं तुम से कहता हूँ, जो कोई अपने भाई अथवा बहिन पर क्रोध करता है, वह कचहरी में दण्‍ड के योग्‍य ठहराया जाएगा। यदि वह अपने भाई अथवा बहिन से अपशब्‍द कहे, तो वह धर्म-महासभा में दण्‍ड के योग्‍य ठहराया जाएगा और जो कोई अपने भाई अथवा बहिन से कहेगा, ‘अरे मूर्ख’, तो वह नरक की आग के योग्‍य ठहराया जाएगा।


“दाऊद स्‍वयं उन्‍हें प्रभु कहते हैं, तो वह उनके वंशज कैसे हो सकते हैं?” विशाल जनसमूह येशु की बातें सुनने में रस ले रहा था।


और इतने लोग इकट्ठे हो गये कि द्वार के सामने भी जगह नहीं रही। येशु उन्‍हें शुभ संदेश सुना ही रहे थे कि


येशु का उपदेश सुनने के लिए सब चुंगी-अधिकारी और पापी उनके पास आ रहे थे।


परन्‍तु उन्‍हें नहीं सूझ रहा था कि क्‍या करें; क्‍योंकि सारी जनता येशु की बातें सुनकर मुग्‍ध थी।


उन्‍हीं दिनों पतरस विश्‍वासी भाई-बहिनों के बीच खड़े हुए, जो लगभग एक सौ बीस व्यक्‍तियों का समुदाय था। पतरस ने कहा,


मैंने आप को तुरन्‍त बुला भेजा और आपने पधारने की कृपा की है। प्रभु ने आप को जो-जो आदेश दिये हैं, उन्‍हें सुनने के लिए हम सब परमेश्‍वर के सम्‍मुख उपस्‍थित हैं।”


ग़ैर-यहूदी यह सुन कर आनन्‍दित हो गये और प्रभु के वचन की स्‍तुति करने लगे। जितने लोग शाश्‍वत जीवन के लिए ठहराए गये थे, उन्‍होंने विश्‍वास किया


ये यहूदी थिस्‍सलुनीके के यहूदियों से अधिक उदार थे। वे बड़ी उत्‍सुकता से प्रभु का संदेश सुनते थे और उसकी सच्‍चाई की जाँच करने के लिए प्रतिदिन धर्मग्रन्‍थ का परिशीलन करते थे।


वे प्रेरितों की शिक्षा, सत्‍संग, रोटी तोड़ने एवं प्रार्थना में दत्तचित रहने लगे।


यदि आप क्रुद्ध हो जायें, तो इस कारण पाप न करें-सूरज के डूबने तक अपना क्रोध कायम नहीं रहने दें।


आप लोग सब प्रकार की कटुता, उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा, परनिन्‍दा और हर तरह की बुराई अपने बीच में से दूर करें।


मसीह की शान्‍ति आपके हृदय में राज्‍य करे। इसी शान्‍ति के लिए आप लोग, एक ही देह के अंग बन कर, बुलाये गये हैं। आप लोग कृतज्ञ बने रहें।


अब तो आप लोगों को क्रोध, उत्तेजना, द्वेष, परनिन्‍दा और अश्‍लील बातचीत सर्वथा छोड़ देनी चाहिए।


हम इसलिए निरन्‍तर परमेश्‍वर को धन्‍यवाद देते हैं कि जब आपने हम से परमेश्‍वर का सन्‍देश सुना और ग्रहण किया, तो आपने उसे मनुष्‍यों का वचन नहीं, बल्‍कि- जैसा कि वह वास्‍तव में है- परमेश्‍वर का वचन समझ कर स्‍वीकार किया और यह वचन अब आप विश्‍वासियों में क्रियाशील है।


मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप गलती न करें।


मेरे भाइयो और बहिनो! जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्‍द की बात समझिए।


यदि कोई अपने को धर्मात्‍मा मानता है, किन्‍तु अपनी जीभ पर नियन्‍त्रण नहीं रखता, तो वह अपने आप को धोखा देता है और उसका धर्माचरण व्‍यर्थ है।


मेरे भाइयो और बहिनो! आप लोग हमारे माहिमान्‍वित प्रभु येशु मसीह में विश्‍वास करते हैं, इसलिए भेदभाव और चापलूसी से दूर रहिए।


मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! सुन लीजिए। क्‍या परमेश्‍वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्‍वास के धनी हो जायें और उस राज्‍य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्‍तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है?


एक ही मुख से स्‍तुति भी निकलती है और अभिशाप भी। मेरे भाइयो और बहिनो! यह उचित नहीं है।


भाइयो और बहिनो! आप एक दूसरे की निन्‍दा नहीं करें। जो अपने भाई अथवा बहिन की निन्‍दा करता या अपने भाई अथवा बहिन का न्‍याय करता है, वह व्‍यवस्‍था की निन्‍दा और व्‍यवस्‍था का न्‍याय करता है। यदि आप व्‍यवस्‍था का न्‍याय करते हैं, तो आप व्‍यवस्‍था के पालक नहीं, बल्‍कि न्‍यायकर्ता बन बैठते हैं।


मेरे भाइयो और बहिनो! सब से बड़ी बात यह है कि आप शपथ नहीं खायें − न तो स्‍वर्ग की, न पृथ्‍वी की और न किसी अन्‍य वस्‍तु की। आपकी बात इतनी हो : हाँ की हाँ, नहीं की नहीं। कहीं ऐसा न हो कि आप दण्‍ड के योग्‍य हो जायें।


मेरे भाइयो और बहिनो! यदि आप लोगों में से कोई सत्‍य मार्ग से भटक जाये और कोई दूसरा उसे वापस ले आये,


मैं तुम लोगों को इसलिए नहीं लिख रहा हूँ कि तुम सत्‍य को नहीं जानते, बल्‍कि इसलिए कि तुम सत्‍य को जानते हो और यह भी जानते हो कि जो कुछ झूठ है, वह सत्‍य से नहीं।


हमारे पर का पालन करें:

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