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याकूब 1:19 - नवीन हिंदी बाइबल

19 हे मेरे प्रिय भाइयो, तुम यह जान लो कि प्रत्येक मनुष्य सुनने में तत्पर, बोलने में धीरजवंत और क्रोध करने में धीमा हो;

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पवित्र बाइबल

19 हे मेरे प्रिय भाईयों, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो।

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Hindi Holy Bible

19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

19 मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप यह अच्‍छी तरह समझ लें। प्रत्‍येक व्यक्‍ति सुनने के लिए तत्‍पर रहे, किन्‍तु बोलने और क्रोध करने में देर करे;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जान लो : हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीर और क्रोध में धीमा हो,

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सरल हिन्दी बाइबल

19 प्रिय भाई बहनो, यह ध्यान रहे कि तुम सुनने में तत्पर, बोलने में धीर तथा क्रोध में धीमे हो,

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याकूब 1:19
54 क्रॉस रेफरेंस  

जो अपने शब्दों पर नियंत्रण रखता है, वह ज्ञानवान है; और जो शांत स्वभाव का होता है, वह समझदार मनुष्य है।


जो अपने मुँह और जीभ पर नियंत्रण रखता है, वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है।


जो क्रोध करने में धीमा होता है, वह बहुत समझवाला है; परंतु जो क्रोध करने में उतावली करता है, वह मूर्खता को बढ़ाता है।


जहाँ बातें बहुत होती हैं, वहाँ पाप भी होता है, परंतु जो अपनी जीभ पर नियंत्रण रखता है, वह बुद्धिमान है।


जो बिना बात सुने उत्तर देता है, उसके लिए यह मूर्खता और लज्‍जा की बात है।


जो अपने मुँह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है; पर जो व्यर्थ की बातें करता है, उसका विनाश होता है।


जो क्रोध करने में धीमा है वह वीर योद्धा से, और जो अपने मन को वश में रखता है वह नगर जीतनेवाले से भी उत्तम है।


क्रोध तो करो पर पाप मत करो; सूर्यास्त होने तक तुम्हारा क्रोध बना न रहे,


क्रोधी मनुष्य झगड़ा भड़काता है, परंतु जो क्रोध करने में धीमा है, वह झगड़े को शांत करता है।


परंतु अब तुम इन सब बातों को अर्थात् क्रोध, रोष, बुराई, निंदा और गालियाँ जो तुम्हारे मुँह से निकलती हैं, छोड़ दो।


सारी बुराई के साथ सब प्रकार की कड़वाहट, और रोष, और क्रोध, और कलह, और निंदा तुमसे दूर किए जाएँ।


जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसका सदुपयोग करना जानता है, वह उसका फल पाएगा।


मसीह की शांति तुम्हारे मनों पर राज्य करे जिसके लिए तुम एक देह में बुलाए भी गए हो; और आभारी बने रहो।


जो मनुष्य बुद्धि से चलता है, वह क्रोध करने में धीमा होता है; और अपराध पर ध्यान न देना उसे शोभा देता है।


बुद्धिमानों की जीभ ज्ञान का उचित प्रयोग करती है, परंतु मूर्खों का मुँह मूर्खता ही उगलता है।


जिस मनुष्य में आत्मसंयम नहीं होता, वह ऐसे नगर के समान होता है जिसकी शहरपनाह तोड़ दी गई हो।


शीघ्र क्रोध करनेवाला मनुष्य मूर्खतापूर्ण कार्य करता है, और जो बुरी युक्‍तियाँ रचता है उससे लोग बैर रखते हैं।


परंतु मैं तुमसे कहता हूँ कि प्रत्येक जो अपने भाई परक्रोध करता है वह दंड के योग्य होगा; और जो कोई अपने भाई को ‘निकम्मा’ कहेगा, वह महासभा में दंड के योग्य होगा; और जो कोई ‘मूर्ख’ कहेगा, वह नरक की आग के योग्य ठहरेगा।


झगड़े का आरंभ बाँध में पड़ी दरार के समान है, अत: झगड़ा बढ़ने से पहले ही उसे रोक दो।


यदि कोई अपने आपको भक्‍त समझे और अपनी जीभ पर लगाम न लगाए बल्कि अपने हृदय को धोखा दे, तो उसकी भक्‍ति व्यर्थ है।


इसी कारण हम भी निरंतर परमेश्‍वर का धन्यवाद करते हैं कि जब हमारे द्वारा तुम्हें परमेश्‍वर के वचन का संदेश मिला, तो तुमने उसे मनुष्यों का नहीं, बल्कि परमेश्‍वर का वचन समझकर ग्रहण किया (सचमुच वह है भी) जो तुम विश्‍वास करनेवालों में कार्य भी करता है।


ये लोग थिस्सलुनीके के लोगों से अधिक सज्‍जन थे, और उन्होंने बड़ी उत्सुकता से वचन को ग्रहण किया तथा प्रतिदिन पवित्रशास्‍त्र में खोजते रहे कि ये बातें ऐसी ही हैं या नहीं।


परंतु उनकी समझ में नहीं आया कि क्या करें, क्योंकि सब लोग बड़े ध्यान से उसकी सुनते थे।


फिर इतने लोग इकट्ठे हो गए कि द्वार पर भी कोई स्थान नहीं रहा और वह उन्हें वचन सुना रहा था।


अति क्रोधी मनुष्य को दंड भुगतना पड़ेगा; यदि तू उसे बचाता है, तो तुझे उसे बार-बार बचाना पड़ेगा।


अतः मैंने तुरंत तेरे पास लोग भेजे, और तूने आकर अच्छा किया। इसलिए अब हम सब यहाँ परमेश्‍वर के सामने उपस्थित हैं कि उन सब बातों को सुनें जो प्रभु ने तुझसे कही हैं।”


वे प्रेरितों की शिक्षा पाने और संगति रखने, रोटी तोड़ने और प्रार्थना करने में निरंतर लगे रहे।


यीशु की बातें सुनने के लिए उसके पास सब कर वसूलनेवाले और पापी आया करते थे।


मैंने तुम्हें यह इसलिए नहीं लिखा कि तुम सत्य को नहीं जानते, परंतु इसलिए कि तुम उसे जानते हो, और इसलिए कि कोई भी झूठ, सत्य की ओर से नहीं।


यह सुनकर गैरयहूदी आनंदित हुए और प्रभु के वचन की बड़ाई करने लगे, और जितने अनंत जीवन के लिए ठहराए गए थे, उन्होंने विश्‍वास किया;


“दाऊद स्वयं उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र कैसे हुआ?” और विशाल भीड़ आनंद से उसकी बात सुन रही थी।


क्या तू बोलने में उतावली करनेवाले व्यक्‍ति को देखता है? उससे बढ़कर आशा तो मूर्ख के लिए है।


उन्हीं दिनों में पतरस ने उन भाइयों के बीच (जहाँ लगभग एक सौ बीस लोग थे) खड़े होकर कहा,


हे मेरे भाइयो, जब तुम विभिन्‍न‍ परीक्षाओं में पड़ो तो इसे बड़े आनंद की बात समझो,


हे मेरे प्रिय भाइयो, धोखा न खाओ।


हे मेरे भाइयो, हमारे महिमामय प्रभु यीशु मसीह पर तुम्हारा विश्‍वास एक दूसरे के प्रति पक्षपात के साथ न हो।


हे मेरे प्रिय भाइयो, सुनो! क्या परमेश्‍वर ने इस जगत के कंगालों को नहीं चुना कि वे विश्‍वास में धनी और उस राज्य के उत्तराधिकारी हों जिसकी प्रतिज्ञा उसने अपने प्रेम करनेवालों से की है?


एक ही मुँह से आशिष और शाप दोनों निकलते हैं। हे मेरे भाइयो! ऐसा नहीं होना चाहिए।


हे भाइयो, एक दूसरे के विरोध में न बोलो; जो अपने भाई के विरोध में बोलता है या अपने भाई पर दोष लगाता है वह व्यवस्था के विरोध में बोलता है, और व्यवस्था पर दोष लगाता है; और यदि तू व्यवस्था पर दोष लगाता है, तो तू व्यवस्था का पालन करनेवाला नहीं बल्कि उसका न्यायी ठहरा।


हे मेरे भाइयो, सब से बड़ी बात यह है कि शपथ न खाना, न स्वर्ग की, न पृथ्वी की और न ही किसी अन्य वस्तु की; परंतु तुम्हारी “हाँ” की “हाँ” और “न” की “न” हो, ताकि तुम दंड के योग्य न ठहरो।


हे मेरे भाइयो, यदि तुममें से कोई सत्य से भटक जाए और दूसरा उसे फेर लाए,


हमारे पर का पालन करें:

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