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यहेजकेल 33:31 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

31 वे झुण्‍ड के झुण्‍ड तेरे पास आते हैं। वे मेरे निज लोगों के समान तेरे सामने बैठते हैं। वे तेरी बातें सुनते हैं, पर मेरे सन्‍देश के अनुसार आचरण नहीं करते। “वाह! कितने सुन्‍दर वचन हैं!” , वे मुंह से यह कहते हैं, किन्‍तु उनका हृदय स्‍वार्थ में डूबा हुआ है।

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पवित्र बाइबल

31 अत: वे तुम्हारे पास वैसे ही आते हैं जैसे वे मेरे लोग हों। वे तुम्हारे सामने मेरे लोगों की तरह बैठेंगे। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे। किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहोगे। वे केवल वह करना चाहते हैं जो अनुभव करने में अच्छा हो। वे लोगों को धोखा देना चाहते हैं और अधिक धन कमाना चाहते हैं।

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Hindi Holy Bible

31 वे प्रजा की नाईं तेरे पास आते और मेरी प्रजा बन कर तेरे साम्हने बैठ कर तेरे वचन सुनते हैं, परन्तु वे उन पर चलते नहीं; मुंह से तो वे बहुत प्रेम दिखाते हैं, परन्तु उनका मन लालच ही में लगा रहता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

31 वे प्रजा के समान तेरे पास आते और मेरी प्रजा बनकर तेरे सामने बैठकर तेरे वचन सुनते हैं, परन्तु वे उन पर चलते नहीं; मुँह से तो वे बहुत प्रेम दिखाते हैं, परन्तु उनका मन लालच ही में लगा रहता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

31 मेरे लोग तुम्हारे पास आते हैं, जैसा कि वे सामान्यतः करते हैं, और वे तुम्हारा वचन सुनने के लिये तुम्हारे सामने बैठते हैं, पर वे उन वचनों के अनुसार नहीं चलते हैं, वे मुंह से प्रेम की बातें तो करते हैं, पर उनका मन अन्याय की कमाई में लगा रहता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

31 वे प्रजा के समान तेरे पास आते और मेरी प्रजा बनकर तेरे सामने बैठकर तेरे वचन सुनते हैं, परन्तु वे उन पर चलते नहीं; मुँह से तो वे बहुत प्रेम दिखाते हैं, परन्तु उनका मन लालच ही में लगा रहता है।

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यहेजकेल 33:31
34 क्रॉस रेफरेंस  

हम महाराज का नमक खाते हैं, और हम महाराज का अनादर होते हुए देख नहीं सकते। अत: हम महाराज को यह पत्र भेज रहे हैं, और आपको सूचित कर रहे हैं।


प्रभु, मेरे हृदय को लालच की ओर नहीं, किन्‍तु अपनी सािक्षयों की ओर झुका।


अत: उनके लिए प्रभु का यह सन्‍देश है: “आदेश पर आदेश, आदेश पर आदेश, नियम पर नियम, नियम पर नियम, कुछ यहाँ, कुछ वहां।” अत: वे ठोकर खाकर मुंह के बल गिरेंगे। उनका अंग-भंग होगा। वे जाल में फंसेंगे, और बन्‍दी बनेंगे।


स्‍वामी ने यह कहा, “ये लोग केवल मुंह से मेरी आराधना करते हैं, केवल ओंठों से मेरा सम्‍मान करते हैं; किन्‍तु इनका हृदय मुझसे दूर है। ये दूसरों के आदेश से मेरी भक्‍ति करते हैं; इनकी भक्‍ति रटी-रटाई, सीखी हुई है।


वह अनेक बातों को देखता है, किन्‍तु उन पर ध्‍यान नहीं देता, उसके कान खुले तो हैं, पर वह नहीं सुनता।’


सच है कि तूने उनको रोपा है, और उन्‍होंने जड़ पकड़ ली है। वे दिन-प्रतिदिन बढ़ते हैं, और फलते- फूलते हैं। वे मुंह से तेरा नाम जपते हैं, पर हृदय से तुझको दूर रखते हैं।


आज मैंने प्रभु परमेश्‍वर का वचन तुम पर प्रकट कर दिया। किन्‍तु तुमने अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी अनसुनी कर दी; जो बातें तुम्‍हें सुनाने के लिए उसने मुझे तुम्‍हारे पास भेजा है, उनको तुम नहीं मानते हो।


उन्‍होंने कहा, ‘प्रभु के नाम में तुमने हमसे जो बातें कहीं हैं, हम नहीं सुनेंगे।


एक दिन इस्राएली कुल के कुछ धर्मवृद्ध मेरे पास आए, और वे मेरे सामने बैठ गए।


‘अन्‍याय और शोषण से तूने जो धन कमाया है, तेरी चहारदीवारी के मध्‍य जो रक्‍तपात किया गया है, उसके कारण मेरी क्रोधाग्‍नि भड़क उठी है, और मैं तुझ पर हाथ उठाऊंगा।


सच तो यह है कि तेरे उच्‍चाधिकारी भेड़िये हैं। वे भेड़ियों के समान शिकार को चीरते-फाड़ते हैं, खून बहाते हैं, अनुचित लाभ के लिए हत्‍या करते हैं।


निष्‍कासन के छठे वर्ष के छठे महीने की पांचवीं तारीख की यह घटना है। मैं अपने घर में बैठा था। यहूदा प्रदेश के धर्मवृद्ध मेरे सामने बैठे थे। उसी समय स्‍वामी-प्रभु की सामर्थ्य मुझ पर प्रकट हुई,


जो काँटों में बोया गया है : यह वह है, जो वचन सुनता है; परन्‍तु संसार की चिन्‍ता और धन का मोह वचन को दबा देता है और वह फल नहीं लाता।


यह बात सुनकर वह नवयुवक उदास होकर चला गया, क्‍योंकि उसके पास बहुत धन-सम्‍पत्ति थी।


“कोई भी मनुष्‍य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता। वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम करेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्‍कार करेगा। तुम परमेश्‍वर और धन, दोनों की सेवा नहीं कर सकते।


उसकी मरियम नामक एक बहिन थी। वह प्रभु येशु के चरणों में बैठ कर येशु की शिक्षा सुन रही थी।


परन्‍तु येशु ने कहा, “किन्‍तु वे कहीं अधिक धन्‍य हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


फरीसी, जो धन-दौलत को प्‍यार करते थे, ये सब बातें सुन कर येशु की हँसी उड़ाने लगे।


किन्‍तु येशु ने उनसे कहा, “मेरी माता और मेरे भाई वे हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


मैंने आप को तुरन्‍त बुला भेजा और आपने पधारने की कृपा की है। प्रभु ने आप को जो-जो आदेश दिये हैं, उन्‍हें सुनने के लिए हम सब परमेश्‍वर के सम्‍मुख उपस्‍थित हैं।”


आप लोग यह निश्‍चित रूप से जान लें कि कोई व्‍यभिचारी, लम्‍पट अथवा लोभी-जो मूर्तिपूजक के बराबर है-मसीह और परमेश्‍वर के राज्‍य का अधिकारी नहीं होगा।


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