विशाल जन-समूह में एफ्रइम, मनश्शे, इस्साकार और जबूलून के क्षेत्रों के बहुत लोग थे, जिन्होंने अपने को शुद्ध नहीं किया था। धर्म-व्यवस्था के निषेध करने पर भी उन्होंने अशुद्ध दशा में पास्का के मेमने का मांस खाया। राजा हिजकियाह ने उनकी क्षमा के लिए प्रभु से इन शब्दों में प्रार्थना की: ‘प्रभु भला है, वह उस व्यक्ति के अपराध क्षमा करे
यदि कोई प्रवासी तुम्हारे साथ निवास करता है और वह प्रभु के लिए पास्का का पर्व मनाना चाहे, तो उसके परिवार के सब पुरुषों का खतना किया जाए। तभी वह धर्मविधि में भाग लेकर पर्व को मना सकेगा। वह उस देश का ही निवासी समझा जाएगा। पर कोई भी खतना-रहित मनुष्य पास्का बलि को नहीं खा सकता।
तुमने अन्य जाति के लोगों को, जो मन और शरीर दोनों से बेख़तना थे, मेरे भवन में प्रवेश करने दिया था, जिससे वे मेरे पवित्र स्थान में उपस्थित हुए। इस प्रकार, जब तुम मुझे मेरा भोजन, बलि-पशु की चर्बी और रक्त चढ़ाते थे, तब तुम मेरे भवन को अशुद्ध कर देते थे। इन घृणित कार्यों को करके तुमने मेरे विधान का उल्लंघन किया है।
किन्तु यदि पुरोहित की पुत्री परित्यक्ता अथवा विधवा है, उसकी सन्तान नहीं है, और वह कन्या के सदृश अपने पिता के घर लौट आई है, तो वह अपने पिता का भोजन खा सकती है। कोई अपुरोहित उसको नहीं खाएगा।
यदि तुम्हारे साथ कोई प्रवासी व्यक्ति निवास करता है, और वह मुझ-प्रभु के हेतु पास्का का पर्व मनाना चाहता है तो वह पास्का की संविधि एवं नियमों के अनुसार ही ऐसा करेगा। देशी तथा प्रवासी, दोनों के लिए एक ही संविधि होगी।’
आप स्मरण रखें कि पहले आप मसीह से अलग थे, इस्राएल के समुदाय के बाहर थे। आप परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार ठहराए गए विधानों से अपरिचित थे, इस संसार में आशा से वंचित और परमेश्वर से रहित थे।
एक दिन परमेश्वर का एक प्रियजन एली के पास आया। उसने एली से कहा, ‘प्रभु ने यह कहा है: “जब तेरा पितृ-कुल मिस्र देश में फरओ राजाओं का गुलाम था तब मैंने उस पर स्वयं को प्रकट किया था।