35 जो उपजाऊ विस्तृत देश तूने अपनी अपार भलाई के कारण उन्हें प्रदान किया था, उनके सम्मुख प्रस्तुत किया था, उन्होंने उसमें, अपने राज्य में भी तेरी सेवा नहीं की; वे अपने दुष्कर्मों को छोड़कर तेरी और उन्मुख नहीं हुए।
35 यहाँ तक कि जब पूर्वज हमारे अपने राज्य में रहते थे, उन्होंने नहीं सेवा की तेरी! छोड़ा उन्होंने नहीं बुरे कर्मो का करना। जो कुछ भी उत्तम वस्तु उनको तूने दी थी, उनका रस वे रहे लेते। आनन्द उस धरती का लेते रहे जो थी सम्पन्न बहुत। और स्थान बहुत सा था उनके पास! किन्तु उन्होंने नहीं छोड़ी निज बुरी राह।
35 उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की; और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।
35 उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तू ने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की; और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।
35 वह राज्य, जो आपने उन्हें अपनी भलाई में दिया था, वह देश, जो विशाल और फलवंत देश था, जो उन्हें आपकी दी हुई भेंट थी, उसमें उन्होंने न तो आपकी सेवा की और न ही अपने बुरे कामों से दूर हुए.
35 उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तूने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की; और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।
उन्होंने कनान देश के किलाबंद नगरों पर, और उपजाऊ भूमि पर कब्जा कर लिया; उन्होंने उनके मकानों पर अधिकार कर लिया, जो धन-धान्य से भरे थे, जहाँ खुदे हुए हौद, अंगूर और जैतून के उद्यान थे; जहाँ असंख्य फलदायक वृक्ष थे। अत: उन्हें खाने के लिए भरपूर भोजन मिला, और वे खा-खाकर मुटा गए। वे तेरी अपार भलाई के कारण मजा करने लगे।
हमारे राजाओं, शासकों, पुरोहितों और हमारे पूर्वजों ने तेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया; जो आज्ञाएं और चेतावनियां तूने उनको दी थीं, उन पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
जो उपकार प्रभु ने हम पर किए हैं, उनके लिए मैं प्रभु की अपार करुणा का, प्रभु के स्तुत्य कार्यों का, वर्णन करूंगा। प्रभु ने इस्राएल वंश की अत्यन्त भलाई की है, यह उसने अपने दयामय स्वभाव के कारण, अपनी अपार करुणा के अनुरूप किया है।
जब लोग तुझ से पूछेंगे, कि “हमारे प्रभु परमेश्वर ने हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया?” तब तुम उनसे यह कहना, “जैसे हम ने प्रभु परमेश्वर को त्याग कर अपने देश में विदेशी कौमों के देवी-देवताओं की सेवा की थी, वैसे ही हमें पराए देश में विदेशी लोगों की सेवा करनी पड़ेगी।”
किन्तु यरूशलेम नगरी ने दुष्कर्म करने के लिए मेरे न्याय-सिद्धान्तों को बदल दिया, और मेरी संविधियों के अनुसार आचरण नहीं किया। यरूशलेम के निवासियों ने मेरे न्याय-सिद्धान्तों का तिरस्कार किया। वे मेरी संविधियों के अनुरूप नहीं चले। इस प्रकार उन्होंने अपने आसपास के राष्ट्रों से अधिक दुष्कर्म किए। उन्होंने अपने चारों ओर के देशों की अपेक्षा अधिक अधर्म किया।
इसलिए तू भूखा, प्यासा, नंगा रहकर, हर प्रकार के अभाव में अपने शत्रुओं की सेवा करेगा, जिन्हें प्रभु तेरे विरुद्ध भेजेगा। जब तक वह तुझे नष्ट नहीं कर देगा, तब तक तेरी गर्दन पर लोहे का जुआ रखा रहेगा।
जब उन पर विपत्तियों और कष्टों का पहाड़ टूट पड़ेगा, तब यह गीत उनके विरुद्ध साक्षी देगा! (क्योंकि उनके वंशज भी इस गीत को कभी विस्मृत नहीं कर सकेंगे) इस देश में, जिसको प्रदान करने की शपथ मैंने खाई थी, उनके प्रवेश करने के पूर्व से मैं उनकी योजनाओं को, जो ये बना रहे हैं, जानता हूँ।’