34 हमारे राजाओं, शासकों, पुरोहितों और हमारे पूर्वजों ने तेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया; जो आज्ञाएं और चेतावनियां तूने उनको दी थीं, उन पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
34 हमारे राजाओं ने मुखियाओं, याजकों ने और पूर्वजों ने नहीं पाला तेरी शिक्षाओं को! उन्होंने नहीं दिया कान तेरे आदेशों। तेरी चेतावनियाँ उन्होंने सुनी ही नहीं।
34 और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिन से तू ने उन को चिताया था।
34 हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है, जिनसे तू ने उनको चिताया था।
34 क्योंकि हमारे राजाओं ने, हमारे पुरोहितों ने और हमारे पूर्वजों ने आपकी व्यवस्था का पालन नहीं किया और न ही उन्होंने आपके आदेशों की ओर ध्यान दिया है, न आपकी चेतावनियों पर.
34 और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिनसे तूने उनको चिताया था।
प्रभु इस्राएल और यहूदा प्रदेशों को नबियों और द्रष्टाओं के द्वारा चेतावनी देता रहा। प्रभु ने उनसे कहा, ‘अपने कुमार्गों को छोड़ दो, और मेरी आज्ञाओं और संविधियों का पालन करो। जो व्यवस्था मैंने तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान की थी, जो व्यवस्था मैंने अपने सेवक नबियों के हाथ से तुम्हें भेजी थी, उसके अनुसार कार्य करो।’
उन्होंने प्रभु की संविधियों को, अपने पुर्वजों के साथ स्थापित प्रभु के विधान को अस्वीकार किया और उसकी चेतावनी की घोर उपेक्षा की। उन्होंने झूठी मूर्तियों का अनुसरण किया, और स्वयं झूठे बन गए। उन्होंने अपने चारों ओर की जातियों के दुष्कर्मों का अनुसरण किया। उनके विषय में प्रभु ने इस्राएलियों को आदेश दिया था कि उनके समान कार्य मत करना।
हमारे बाप-दादों ने प्रभु के विरुद्ध विश्वासघात किया था। उन्होंने उन्हीं कार्यों को किया था जो प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में अनुचित थे। उन्होंने उसको छोड़ दिया था। वे प्रभु से विमुख हो गए थे। वे उसके निवास-स्थान से पीठ फेरकर चले गए थे।
‘हे प्रभु परमेश्वर, तेरी समस्त कृपा के बाद अब हम अपने आचरण के लिए क्या सफाई पेश कर सकते हैं? तेरे सेवक नबियों ने जो तेरी आज्ञाएं हमें दी थीं, उनका हमने उल्लंघन किया। नबियों ने हमसे कहा था : “जिस देश पर अधिकार करने के लिए, तुम उसमें प्रवेश कर रहे हो, वह अशुद्ध देश है; उसमें निवास करने वाली जातियों ने उसे एक छोर से दूसरे छोर तक अपनी घृणित प्रथाओं से पूर्णत: भर दिया है।
‘तू अनेक वर्षों तक उनकी हठधर्मिता को सहता रहा; तूने अपने आत्मा के द्वारा, अपने नबियों के माध्यम से उनको चेतावनी दी; फिर भी उन्होंने उन पर कान नहीं दिया। इसलिए तूने अनेक देशों की कौमों के हाथों में उनको सौंप दिया।
तो भी हम पर जो कष्ट आए हैं, उनके विषय में तेरा व्यवहार न्यायसंगत ही था। तूने हमारे साथ सत्य के अनुरूप व्यवहार किया, फिर भी हम दुष्टतापूर्ण व्यवहार करते रहे।
जो उपजाऊ विस्तृत देश तूने अपनी अपार भलाई के कारण उन्हें प्रदान किया था, उनके सम्मुख प्रस्तुत किया था, उन्होंने उसमें, अपने राज्य में भी तेरी सेवा नहीं की; वे अपने दुष्कर्मों को छोड़कर तेरी और उन्मुख नहीं हुए।
मैंने अपने सेवक नबियों को उनके पास भेजा था, और नबियों के माध्यम से बार-बार उन्हें अपना सन्देश सुनाया था। किन्तु उन्होंने मेरे सन्देश पर ध्यान नहीं दिया। मुझ-प्रभु की यह वाणी है कि तुमने मेरे वचन को नहीं सुना!
जो हम करते थे, करते हैं, और जो हमारे पूर्वजों ने, राजाओं ने, और हमारे उच्चाधिकारियों ने यहूदा प्रदेश के नगरों में, यरूशलेम की गलियों में किया था, वह करते रहेंगे। हम आकाश की रानी की मन्नतें मानेंगे, उसको धूप जलाएंगे, और उसको पेयबलि चढ़ाएंगे। उन दिनों में हम सुख-समृद्धि से रहते थे, पेट भर रोटी खाते थे, और हम पर कोई विपत्ति नहीं आई थी।
फिर भी मैं अपने प्रेम के कारण बार-बार अपने सेवक नबियों को भेजता रहा, और उनके माध्यम से कहता रहा, ‘ओह, यह घृणित कार्य मत करो, मैं इस पूजा-पाठ से घृणा करता हूं।’
किन्तु यरूशलेम नगरी ने दुष्कर्म करने के लिए मेरे न्याय-सिद्धान्तों को बदल दिया, और मेरी संविधियों के अनुसार आचरण नहीं किया। यरूशलेम के निवासियों ने मेरे न्याय-सिद्धान्तों का तिरस्कार किया। वे मेरी संविधियों के अनुरूप नहीं चले। इस प्रकार उन्होंने अपने आसपास के राष्ट्रों से अधिक दुष्कर्म किए। उन्होंने अपने चारों ओर के देशों की अपेक्षा अधिक अधर्म किया।
हमने तेरे सेवक नबियों के सन्देश को नहीं सुना। उन्होंने हमारे राजाओं, शासकों, और हमारे पूर्वजों को तथा देश की समस्त जनता को तेरे नाम से सन्देश सुनाया था।
जब उन पर विपत्तियों और कष्टों का पहाड़ टूट पड़ेगा, तब यह गीत उनके विरुद्ध साक्षी देगा! (क्योंकि उनके वंशज भी इस गीत को कभी विस्मृत नहीं कर सकेंगे) इस देश में, जिसको प्रदान करने की शपथ मैंने खाई थी, उनके प्रवेश करने के पूर्व से मैं उनकी योजनाओं को, जो ये बना रहे हैं, जानता हूँ।’