देखिए, मैं अपने प्रभु परमेश्वर के नाम पर एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ। मैं उसको इस कार्य के लिए अर्पित करूंगा कि उसमें इस्राएली जाति की स्थायी धर्म-प्रथा के अनुसार हमारे प्रभु परमेश्वर के सम्मुख सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाए जाएं, निरन्तर भेंट की रोटियां अर्पित की जाएं, और प्रतिदिन सबेरे और शाम तथा पवित्र विश्राम-दिवसों, नवचन्द्र-दिवसों और निर्धारित पर्वों पर अग्नि-बलि चढ़ाई जाए।
राजा अपनी सम्पत्ति से सबेरे-शाम की अग्नि-बलि, विश्राम-दिवस की अग्नि-बलि, नवचन्द्रपर्व की अग्नि-बलि तथा प्रभु की व्यवस्था में लिखित निर्धारित पर्वों की अग्नि-बलि देता था।
वह उसके साथ प्रतिदिन सबेरे अन्न-बलि का भी प्रबंध करेगा : पौने दो किलो मैदा, और उसको गूंधने के लिए अढ़ाई लिटर तेल। यह प्रभु के लिए अन्न-बलि होगी। नित्य अग्नि-बलि की यही विधि है।
‘हारून और उसके पुत्रों को यह आदेश दे : यह अग्नि-बलि की व्यवस्था है। अग्नि-बलि भट्टी के ऊपर रातभर तथा सबेरे तक वेदी पर रहेगी। वेदी की अग्नि उसमें जलती रहेगी।