28 तब मूसा ने कहा, “मैं प्रमाण प्रस्तुत करूँगा कि यहोवा ने मुझे उन चीज़ों को करने के लिए भेजा है जो मैंने तुमको कहा है। मैं दिखाऊँगा कि वे सभी मेरे विचार नहीं थे।
28 मोशेह ने घोषणा की, “अब तुम्हें यह अहसास हो जाएगा, कि ये सारे काम करने की जवाबदारी मुझे स्वयं याहवेह द्वारा सौंपी गई है, यह मेरी बनाई योजना नहीं हैं.
सन्ध्या समय, भेंट-बलि के अर्पण के समय, नबी एलियाह वेदी के समीप आए। उन्होंने कहा, ‘हे अब्राहम, इसहाक और याकूब के प्रभु परमेश्वर, आज यह सच्चाई सब लोगों को ज्ञात हो जाए कि इस्राएली राष्ट्र का परमेश्वर केवल तू है, और मैं तेरा सेवक हूं। ये लोग जान लें कि जो कुछ मैंने किया है, वह सब तेरे आदेश से किया है।
परमेश्वर ने कहा, ‘मैं तेरे साथ रहूंगा। मैंने तुझे भेजा है; इस बात का यह चिह्न होगा : जब तू मेरे लोगों को मिस्र देश से निकाल कर लाएगा, तब इस पर्वत पर मेरी, अपने परमेश्वर की, सेवा करेगा।’
‘जब फरओ तुमसे कहेगा, “अपने कथन के प्रमाण में आश्चर्यपूर्ण कार्य दिखाओ” , तब तू हारून से कहना, “अपनी लाठी उठा और उसे फरओ के सम्मुख फेंक कि वह लाठी अजगर बन जाए।” ’
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तुम इन नबियों की नबूवत मत सुनो; क्योंकि ये तुम में झूठी आशा जगाते हैं। ये ईश्वरीय दर्शन की बातों का दावा करते हैं; पर ये बातें मुझ-प्रभु के मुख की नहीं, वरन् इनके मस्तिष्क की उपज होती हैं।
‘ओ मानव, अब तू अपने जाति भाई-बन्धुओं की पुत्रियों के विरुद्ध अपना मुंह खोल। ये अपने मन से भविष्यवाणी करती हैं। तू झूठी भविष्यवाणी करनेवाली इन नबियाओं के विरुद्ध नबूवत कर।
‘जरूब्बाबेल ने स्वयं अपने हाथों से इस भवन की नींव रखी है। वह अपने हाथों से इस भवन को पूरा भी करेगा।’ तब तुम्हें ज्ञात होगा कि स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।
“चाहे बालाक सोना-चांदी से भरा अपना घर प्रदान करें तो भी मैं प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करूंगा और अपनी इच्छा के अनुसार भला अथवा बुरा नहीं करूंगा। जो कुछ प्रभु बोलेगा, वही मैं बोलूंगा।”
मैं स्वयं से कुछ भी नहीं कर सकता। मैं जो सुनता हूँ, उसी के अनुसार न्याय करता हूँ और मेरा निर्णय न्यायसंगत होता है; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, बल्कि जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा पूरी करना चाहता हूँ।
परन्तु मुझे जो साक्षी प्राप्त है, वह योहन की साक्षी से भी महान् है। पिता ने जो कार्य मुझे पूरा करने को सौंपे हैं, जो कार्य मैं करता हूँ, वे ही मेरे विषय में यह साक्षी देते हैं कि मुझे पिता ने भेजा है।
तो उसकी यह पहचान है : जब नबी प्रभु के नाम से बोलता है, और वचन के अनुसार कार्य नहीं होता, अर्थात् उसका वचन सत्य प्रमाणित नहीं होता है, तब उस वचन को प्रभु ने नहीं कहा था, वरन् नबी ने ढिठाई से उसको कहा था। तू उससे मत डरना।