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2 राजाओं 1:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 राजा ने एलियाह के पास पुन: पचास सैनिकों के तीसरे दल को तथा उनके सेना-नायक को भेजा। तीसरा सेना-नायक पहाड़ पर चढ़ा। वह एलियाह के समीप आया। उसने एलियाह के सम्‍मुख घुटने टेके, और उनसे यह निवेदन किया, “हे परमेश्‍वर के जन! कृपाकर, मेरे प्राण को और अपने पचास सेवकों के प्राण को अपनी दृष्‍टि में तुच्‍छ मत समझिए।

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पवित्र बाइबल

13 अहज्याह ने तीसरे सेनापति को पचास सैनिकों के साथ भेजा। पचास सैनिकों का सेनापति एलिय्याह के पास आया। सेनापति ने अपने घुटनों के बल झुककर उसको प्रणाम किया। सेनापति ने उससे यह कहते हुए प्रार्थना की, “परमेश्वर के जन मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ, कृपया मेरे जीवन और अपने इन पचास सेवकों के जीवन को अपनी दृष्टि में मूल्यवान मानें!

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Hindi Holy Bible

13 फिर राजा ने तीसरी बार पचास सिपाहियों के एक और प्रधान को, पचासों सिपाहियों समेत भेज दिया, और पचास का वह तीसरा प्रधान चढ़ कर, एलिय्याह के साम्हने घुटनों के बल गिरा, और गिड़गिड़ा कर उस से कहने लगा, हे परमेश्वर के भक्त मेरा प्राण और तेरे इन पचास दासों के प्राण तेरी दृष्टि में अनमोल ठहरें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 फिर राजा ने तीसरी बार पचास सिपाहियों के एक और प्रधान को, पचासों सिपाहियों समेत भेज दिया, और पचास का वह तीसरा प्रधान चढ़कर, एलिय्याह के सामने घुटनों के बल गिरा, और गिड़गिड़ा कर उससे कहने लगा, “हे परमेश्‍वर के भक्‍त, मेरा प्राण और तेरे इन पचास दासों के प्राण तेरी दृष्‍टि में अनमोल ठहरें।

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सरल हिन्दी बाइबल

13 राजा ने पचास सैनिकों की तीसरी टुकड़ी को उनके प्रधान के साथ एलियाह के पास भेजी. जब वह तीसरी पचास सैनिकों की टुकड़ी का प्रधान एलियाह के पास पहुंचा, उसने उनके आगे घुटने टेक दिए और उनसे विनती की, “परमेश्वर के जन, आपकी दृष्टि में मेरा और इन पचास सैनिकों का जीवन कीमती बना रहे.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

13 फिर राजा ने तीसरी बार पचास सिपाहियों के एक और प्रधान को, पचासों सिपाहियों समेत भेज दिया, और पचास का वह तीसरा प्रधान चढ़कर, एलिय्याह के सामने घुटनों के बल गिरा, और गिड़गिड़ाकर उससे विनती की, “हे परमेश्वर के भक्त मेरा प्राण और तेरे इन पचास दासों के प्राण तेरी दृष्टि में अनमोल ठहरें।

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2 राजाओं 1:13
17 क्रॉस रेफरेंस  

अत: राजा ने परमेश्‍वर के जन से कहा, ‘कृपाकर, तुम अपने प्रभु परमेश्‍वर को शान्‍त करो और उससे मेरे लिए निवेदन करो कि मेरा हाथ ज्‍यों का त्‍यों हो जाए।’ परमेश्‍वर के जन ने प्रभु से निवेदन किया, और राजा का हाथ ज्‍यों का त्‍यों हो गया। जैसे वह पहले था, वैसा ही वह फिर हो गया।


परन्‍तु एलियाह ने सेना-नायक को यह उत्तर दिया, ‘यदि मैं परमेश्‍वर का जन हूं तो आकाश से आग बरसे और तुझे तथा तेरे पचास सैनिकों को भस्‍म कर दे!’ तत्‍काल आकाश से परमेश्‍वर की आग बरसने लगी और आग ने सेना-नायक और पचास सैनिकों को भस्‍म कर दिया।


देखिए, आकाश से आग बरसी थी। उसने दो सेना-नायकों और उनके पचास-पचास सैनिकों के दल को भस्‍म कर दिया था। अब, कृपाकर, मेरे प्राण को अपनी दृष्‍टि में तुच्‍छ मत समझिए।’


वह दीन-दु:खियों की प्रार्थना की ओर मुख करेगा; वह उनकी प्रार्थना की उपेक्षा नहीं करेगा।


वह दमन और अत्‍याचार से उनके प्राण का उद्धार करता है, उसकी दृष्‍टि में उनका रक्‍त अनमोल है।


ये आपके सब कर्मचारी मेरे पास आएंगे और सिर झुकाकर मेरा अभिवादन करेंगे। वे कहेंगे, “कृपया, अपने अनुचरों को लेकर चले जाइए।” तत्‍पश्‍चात् मैं भी चला जाऊंगा।’ मूसा तीव्र क्रोध में भरे हुए फरओ के पास से चले गए।


चाहे तू मूर्ख को अनाज की तरह ओखली में डालकर मूसल से क्‍यों न कूटे, उसकी मूर्खता नहीं जाने की!


जो बुराइयाँ सूर्य के नीचे इस धरती पर विद्यमान हैं उनमें से एक यह नियति है : सब मनुष्‍य एक ही गति को प्राप्‍त होते हैं। मनुष्‍यों के हृदय बुराई से भरे हैं। जब तक वे जीवित रहते हैं, उनमें पागलपन समाया रहता है। उसके बाद वे मृतकों में मिल जाते हैं।


अब तुम्‍हारे किस अंग पर प्रहार किया जा सकता है? तुम्‍हारा कोई अंग भी मार से बचा नहीं, फिर भी तुम बार-बार विद्रोह करते हो! तुम्‍हारा सारा सिर घायल है, तुम्‍हारा सम्‍पूर्ण हृदय रोगी है।


जिन्‍होंने तुझ पर अत्‍याचार किया था, उनकी सन्‍तान सिर झुकाए हुए तेरे पास आएगी; जो तुझसे घृणा करते थे, वे तेरे चरणों पर गिरकर तुझे साष्‍टांग प्रणाम करेंगे। वे तुझे इस नाम से पुकारेंगे: “प्रभु की नगरी” , “इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर का नगर-सियोन।”


प्रभु कहता है : ‘इन सबको स्‍वयं मेरे हाथों ने बनाया है, अत: ये सब वस्‍तुएँ मेरी ही हैं। पर मैं उस मनुष्‍य पर ध्‍यान दूंगा, जो विनम्र है जो आत्‍मा में पीड़ित है जो मेरे वचन में श्रद्धा रखता है।


‘हे प्रभु, क्‍या तू सच्‍चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्‍तु उन्‍हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्‍होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्‍होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्‍होंने पश्‍चात्ताप करने से इन्‍कार कर दिया।’


अत: आप लोग परमेश्‍वर के अधीन रहें। शैतान का सामना करें और वह आप के पास से भाग जायेगा।


देखो, शैतान के सभागृह के उन सदस्‍यों को, जो अपने को यहूदा-वासी कहते हैं, किन्‍तु यहूदा के नहीं हैं और झूठ बोलते हैं, मैं उनको बाध्‍य करूँगा कि वे आ कर तुम्‍हारे चरणों पर गिरें और यह जानें कि मैं तुम से प्रेम करता हूँ।


शाऊल ने कहा, ‘मैंने पाप किया है। दाऊद, मेरे पुत्र, लौट आ! अब मैं तेरा अनिष्‍ट कभी नहीं करूंगा। तूने आज अपनी दृष्‍टि में मेरे प्राण को बहुमूल्‍य समझा। देख, मैंने आज बहुत मूर्खतापूर्ण कार्य किया। मैंने बड़ी भूल की।’


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