31 राजा हिजकियाह ने आराधकों की धर्मसभा से कहा, ‘तुमने प्रभु के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया। अब समीप आओ, और प्रभु के भवन में बलि-पशु तथा स्तुति-बलि चढ़ाने के लिए बलि-सामग्री लाओ; और जिनके हृदय में अग्नि-बलि चढ़ाने की इच्छा है, वे अग्नि-बलि लाएँ।’ अत: आराधक बलि-पशु तथा स्तुति-बलि में चढ़ाने के लिए सामग्री ले आए। जिनके हृदय में अग्नि-बलि चढ़ाने की इच्छा हुई, वे अग्नि-बलि ले आए।
31 हिजकिय्याह ने कहा, “यहूदा के लोगो, अब तुम लोग स्वयं को यहोवा को अर्पित कर चुके हो। निकट आओ, बलि और धन्यवाद की भेंट यहोवा के मन्दिर में लाओ।” तब लोग बलि और धन्यवाद की भेंट लाये। कोई व्यक्ति, जो चाहता था, वह होमबलि भी लाया।
31 तब हिजकिय्याह कहने लगा, अब तुम ने यहोवा के निमित्त अपना अर्पण किया है; इसलिये समीप आ कर यहोवा के भवन में मेलबलि और धन्यवादबलि पहुंचाओ। तब मण्डली के लोगों ने मेलबलि और धन्यवादबलि पहुंचा दिए, और जितने अपनी इच्छा से देना चाहते थे उन्होंने भी होमबलि पहुंचाए।
31 तब हिजकिय्याह कहने लगा, “अब तुम ने यहोवा के निमित्त अपना अर्पण किया है; इसलिये समीप आकर यहोवा के भवन में मेलबलि और धन्यवादबलि पहुँचाओ।” तब मण्डली के लोगों ने मेलबलि और धन्यवादबलि पहुँचा दिए, और जितने अपनी इच्छा से देना चाहते थे उन्होंने भी होमबलि पहुँचाए।
31 यह होने पर हिज़किय्याह ने उन्हें कहा, “अब इसलिये कि आप लोगों ने स्वयं को याहवेह के लिए पवित्र कर लिया है,” निकट आकर याहवेह के भवन में बलि और धन्यवाद की भेंट चढ़ाइए. तब सारी सभा बलियां और धन्यवाद की भेंटें लेकर आ गई और जिन्होंने चाहा वे होमबलियां चढ़ाने आ गए.
31 तब हिजकिय्याह कहने लगा, “अब तुम ने यहोवा के निमित्त अपना अर्पण किया है; इसलिए समीप आकर यहोवा के भवन में मेलबलि और धन्यवाद-बलि पहुँचाओ।” तब मण्डली के लोगों ने मेलबलि और धन्यवाद-बलि पहुँचा दिए, और जितने अपनी इच्छा से देना चाहते थे उन्होंने भी होमबलि पहुँचाए। (लैव्य. 7:12)
तुमने अपने मध्य में से प्रभु के पुरोहितों को हारून के वंशजों और लेवी वंशीय उप-पुरोहितों को निकाल दिया, और उनके स्थान पर मनमाने पुरोहित नियुक्त कर लिए, जैसे अन्य जातियां करती हैं। जो भी आदमी पुरोहित बनने के लिए एक बैल और सात मेढ़े लेकर तुम्हारे पास आता है, तुम उसका अभिषेक कर देते हो, और वह बछड़े की मूर्तियों का पुरोहित बन जाता है, जो ईश्वर नहीं है!
आराधकों द्वारा अग्नि-बलि में चढ़ाए गए पशुओं की संख्या इस प्रकार थी : सत्तर बछड़े, सौ मेढ़े, और दो सौ मेमने। ये सब पशु प्रभु को अग्नि-बलि में चढ़ाए गए।
इस्राएली कौम के बचे हुए लोग, जहां-जहां निवास करते हैं, वहां रहने वाले अन्य जाति के लोगों का भी सहयोग प्राप्त करेंगे। उस स्थान के निवासी चांदी, सोना, माल-असबाब और पशुओं से उनकी सहायता करेंगे। इनके अतिरिक्त वे स्वेच्छा से परमेश्वर के भवन के लिए, जो यरूशलेम में है, भेंट चढ़ाएंगे।’
स्त्री और पुरुष आए। जिनके हृदय इच्छुक थे, वे जुगनू, बालियाँ, अंगूठियाँ और कंगन आदि सब प्रकार के सोने के आभूषण लाए। जो जो व्यक्ति प्रभु को भेंट चढ़ाना चाहता था, उसने सोना चढ़ाया।
जब इस्राएल देश का शासक स्वेच्छा-बलि के रूप में प्रभु को अग्नि-बलि अथवा सहभागिता-बलि चढ़ाने की इच्छा करेगा तब पूर्वमुखी फाटक उसके लिए खोला जाएगा। जैसे वह विश्राम-दिवस पर अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि चढ़ाता है वैसे ही वह स्वेच्छा-बलि के रूप में अग्नि-बलि अथवा सहभागिता-बलि चढ़ाएगा। तब वह फाटक से बाहर निकलेगा, और उसके निकलने के पश्चात् फाटक बन्द कर दिया जाएगा।
यदि वह उसको स्तुति के हेतु चढ़ाता है तो ऐसी स्तुति-बलि के साथ तेल-सम्मिश्रित बेखमीर रोटियां, तेल में चुपड़ी हुई बेखमीर चपातियां और तेल-सम्मिश्रित मैदे की पूरियां चढ़ाएगा।