36 मैंने, आपके सेवक ने, सिंह और भालू दोनों को मारा है। यह बेखतना पलिश्ती भी उनके समान मारा जाएगा; क्योंकि इसने जीवन्त परमेश्वर के सैन्यदलों को चुनौती दी है।’
36 मैंने एक शेर और एक रीछ को मार डाला है! मैं उस विदेशी गोलियत को वैसे ही मार डालूँगा। गोलियत मरेगा, क्योंकि उसने साक्षात परमेश्वर की सेना का मजाक उड़ाया है।
36 आपके सेवक ने सिंह तथा भालू दोनों ही का संहार किया है. इस अख़तनित फिलिस्तीनी की भी वही नियति होने पर है, जो उनकी हुई है, क्योंकि उसने जीवन्त परमेश्वर की सेनाओं को तुच्छ समझा है.
सनहेरिब ने इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर की निन्दा करते हुए पत्र भी लिखे। उस ने प्रभु परमेश्वर के विरुद्ध ये बातें लिखी थीं, “जैसे विश्व की अन्य कौमों और देशों के राष्ट्रीय देवी-देवता अपने निज लोगों को मेरे पंजे से नहीं छुड़ा सके, वैसे ही हिजकियाह का परमेश्वर भी अपने निज लोगों को मेरे पंजे से नहीं छुड़ा सकेगा।”
क्या कुल्हाड़ी लकड़हारे से शेखी मार सकती है? क्या आरा आराकश से डींग मार सकता है? इनकी शेखी करना, या डींग मारना तो वैसा है जैसे डंडा अपने उठाने वाले को उठाए; निर्जीव लट्ठ उसको उठाए जो सजीव है!
तुम हिजकियाह की बात मत सुनना। तुम उसकी इस बात के भुलावे में मत आना कि प्रभु तुम्हें मुक्त करेगा। ओ लोगो! क्या कभी किसी राष्ट्र का इष्ट देवता अपने देश को असीरिया देश के महाराज के हाथ से मुक्त कर सका है?
तू विदेशी सैनिकों के हाथ से बेख़तना मनुष्य के समान घृणित मौत से मरेगा। देख, मैंने तुझ से यह कह दिया, और मैं अपने वचन को अवश्य पूरा करूंगा।” ’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
तुमने स्वर्ग में विराजमान अधिपति के प्रति अहंकार में सिर उठाया और उसके मन्दिर के पवित्र पात्र तुम्हारे सम्मुख प्रस्तुत किए गए, और तुमने, तुम्हारे सामन्तों ने, तुम्हारी रानियों और रखेलों ने उन पात्रों में शराब डाल कर पी। तुमने शराब पीकर चांदी-सोना, पीतल, लोहे, लकड़ी और पाषाण के देवताओं की मूर्तियों की स्तुति की, जो न तो देख सकती हैं, न सुन सकती हैं, और न कुछ समझती ही हैं। ओ बेलशस्सर! जिस परमेश्वर के हाथ में तुम्हारे प्राण हैं, जो तुम्हारे जीवन को अपने नियंत्रण में रखता है, उसका सम्मान तुमने नहीं किया।
उस दिन विश्व की सब कौमों के लिए मैं यरूशलेम को भारी चट्टान बनाऊंगा। जो उसे उठाएगा, वह स्वयं को गम्भीर चोट पहुंचाएगा। विश्व के सब राष्ट्र संगठित रूप से उसे उठाने आएंगे।
जब स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे अपनी महिमा के लिए तुम्हें लूटने वाले राष्ट्रों के पास भेजा था, तब प्रभु ने यों कहा था: ‘जो तुम्हें स्पर्श करता है, वह मेरी आंख की पुतली को स्पर्श करता है।
योनातन ने अपने शस्त्रवाहक से कहा, ‘आओ, हम इन बेखतना पलिश्तियों की चौकी के पास चलें। कदाचित् प्रभु हमारे लिए कार्य करे; क्योंकि हमें विजय प्रदान करने से प्रभु को कोई नहीं रोक सकता है, फिर चाहे हम संख्या में बहुत हों अथवा कम।’
दाऊद ने अपने पास खड़े सैनिकों से पूछा, ‘जो व्यक्ति इस पलिश्ती योद्धा को मार डालेगा, और इस्राएल के इस अपमान को दूर करेगा, उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा? यह बेखतना पलिश्ती कौन है, जो जीवन्त परमेश्वर के सैन्यदलों को चुनौती दे रहा है?’
तब मैं उसका पीछा करता, उस पर प्रहार करता, और उसके मुंह से मेमने को छुड़ाता हूँ। यदि वह मुझ पर हमला करता तो मैं उसके जबड़े के बालों को पकड़ता और उस पर प्रहार करता हूँ। इस प्रकार मैं उसको मार डालता हूँ।
दाऊद ने आगे कहा, ‘जिस प्रभु ने मुझे सिंह के पंजे से, भालू के पंजे से बचाया था, वह मुझे इस पलिश्ती योद्धा के हाथ से भी बचाएगा।’ शाऊल ने दाऊद से कहा, ‘जाओ! प्रभु तुम्हारे साथ हो!’
एक दिन शाऊल ने दाऊद से कहा, ‘देखो, यह मेरी बड़ी पुत्री मेरब है। मैं इसका विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगा। पर शर्त यह है कि तुम्हें मेरे लिए शौर्य का प्रदर्शन करना होगा कि तुम शूरवीर हो। तुम्हें प्रभु के युद्ध लड़ने होंगे।’ शाऊल हृदय में यह कहता था, ‘अच्छा हो कि दाऊद पलिश्तियों के हाथ से मारा जाए, मेरे हाथ से नहीं।’
शाऊल ने अपने शस्त्रवाहक से कहा, ‘अपनी तलवार निकाल। उसको मेरे शरीर पर भोंक दे। ऐसा न हो कि ये बेखतना पलिश्ती आएं, मेरे शरीर पर अपनी तलवार भोंके, और फिर मेरा मजाक-उड़ाएं!’ परन्तु उसका शस्त्रवाहक बहुत डर गया। उसने शाऊल का आदेश नहीं माना। अत: शाऊल ने अपनी तलवार निकाली, और स्वयं उस पर गिर पड़ा।