“शाऊल और योनातन, एक दूसरे से प्रेम करते थे। वे एक दूसरे से सुखी रहे जब तक वे जीवित रहे, शाऊल योनातन मृत्यु में भी साथ रहे! वे उकाब से तेज भी जाते थे, वे सिंह से अधिक शक्तिशाली थे।
उस दिन दाऊद ने अपने लोगों से कहा, “यदि तुम लोग यबूसियों को हराना चाहते हो तो जलसुरंग से जाओ, और उन ‘अन्धे तथा अपाहिज’ शत्रुओं पर हमला करो।” यही कारण है कि लोग कहते हैं “अन्धे और विकलांग उपासना गृह में नहीं आ सकते।”
सूर्य प्रफुल्ल हुए दुल्हे सा अपने शयनकक्षा से निकलता है। सूर्य अपनी राह पर आकाश को पार करने निकल पड़ता है, जैसे कोई खिलाड़ी अपनी दौड़ पूरी करने को तत्पर हो।
यहूदा की अंगूर की बेलों की कतारों के सहारे से निकलो। बेलों को काट डालो। (किन्तु उन्हें पूरी तरह नष्ट न करो।) उनकी सारी शाखायें छाँट दो क्योंकि ये शाखाये यहोवा की नहीं हैं।
वे एक दूसरे को आपस में नहीं थकेलते हैं। हर एक सैनिक अपनी राह पर चलता है। यदि कोई सैनिक आघात पा करके गिर जाता है तो भी वे दूसरे सैनिक आगे ही बढ़ते रहते हैं।