एक विशाल कक्ष था। वे उत्तर के कमरों के समान थे। दक्षिण के द्वार लम्बाई—चौड़ाई में उतने ही माप वाले थे जितने उत्तर के। दक्षिण के द्वार नाप, रूपाकृति और प्रवेश कक्ष की दृष्टि से उत्तर के द्वारों के सामने थे।
नगर की नाप यह है: उत्तर की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। पूर्व की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। दक्षिण की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। पश्चिम की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा।
नगर को वर्गाकार में बसाया गया था। यह जितना लम्बा था उतना ही चौड़ा था। उस स्वर्गदूत ने उस छड़ी से उस नगरी को नापा। वह कोई बारह हज़ार स्टोडिया पायी गयी। उसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई एक जैसी थी।