जब मैंने प्राणियों को देखा तो चार चक्र देखे! हर एक प्राणी के लिये एक चक्र था। चक्र भूमि को छू रहे थे और एक समान थे। चक्र ऐसे दिख रहे थे मानों पीली शुद्ध मणि के बने हों। वे ऐसे दिखते थे मानों एक चक्र के भीतर दूसरा चक्र हो।
इसलिये यदि प्राणी चलते थे तो चक्र भी चलते थे। यदि प्राणी रूक जाते थे तो चक्र भी रूक जाते थे। यदि चक्र हवा में ऊपर जाते तो प्राणी उनके साथ जाते थे। क्यों क्योंकि आत्मा चक्र में थी।
तब करुब (स्वर्गदूतों) ने अपने पंख खोले और हवा में उड़ गए। मैंने उन्हें मन्दिर को छोड़ते देखा! चक्र उनके साथ चले। तब वे यहोवा के मन्दिर के पूर्वी द्वार पर ठहरे। इस्राएल के परमेश्वर का तेज हवा में उनके ऊपर था।