जब यीशु बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा था, तभी एक स्त्री सफेद चिकने स्फटिक के एक पात्र में शुद्ध बाल छड़ का इत्र लिये आयी। उसने उस पात्र को तोड़ा और इत्र को यीशु के सिर पर उँडेल दिया।
मेरे इत्र की सुगन्ध, गद्दी पर बैठे राजा तक फैलती है।
मैं अपने प्रियतम के लिये द्वार खोलने को उठ जाती हूँ। रसगंध मेरे हाथों से और सुगंधित रसगंध मेरी उंगलियों से ताले के हत्थे पर टपकता है।
फिर उन्हें वहीं छोड़ कर वह यरूशलेम नगर से बाहर बैतनिय्याह को चला गया। जहाँ उसने रात बिताई।
ऐसे ही जिसे दो थैलियाँ मिली थी, उसने भी दो और कमा लीं।
वे कह रहे थे, “किन्तु यह हमें पर्व के दिनों में नहीं करना चाहिये, नहीं तो हो सकता है, लोग कोई फसाद खड़ा करें।”
इससे वहाँ कुछ लोग बिगड़ कर आपस में कहने लगे, “इत्र की ऐसी बर्बादी क्यों की गयी है?
(मरियम वह स्त्री थी जिसने प्रभु पर इत्र डाला था और अपने सिर के बालों से प्रभु के पैर पोंछे थे।) लाज़र नाम का रोगी उसी का भाई था।