यहोवा क्रोधित हुआ, सो निर्णय हुआ “मृत्यु।” किन्तु उसने अपना प्रेम प्रकट किया और मुझे “जीवन” दिया। मैं रात को रोते बिलखाते सोया। अगली सुबह मैं गाता हुआ प्रसन्न था।
याकूब नदी को पार करने वाला अन्तिम व्यक्ति था। किन्तु पार करने से पहले जब तक वह अकेला ही था, एक व्यक्ति आया और उससे मल्ल युद्ध करने लगा। उस व्यक्ति ने उससे तब तक मल्ल युद्ध किया जब तक सूरज न निकला।
किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा। हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा। क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है। मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा, “लोगों से तुम जो कहोगे वह यह है कि: ‘यहोवा तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, इब्राहीम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर है। मेरा नाम सदा यहोवा रहेगा। इसी रूप में लोग आगे पीढ़ी दर पीढ़ी मुझे जानेंगे।’ लोगों से कहो, ‘यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।’”
हे मेरे लोगों, तुम अपने कोठरियों में जाओ। अपने द्वारों को बन्द करो और थोड़े समय के लिये अपने कमरों में छिप जाओ। तब तक छिपे रहो जब तक परमेश्वर का क्रोध शांत नहीं होता।
आओ, यहोवा के विषय में जानकारी करें। आओ, यहोवा को जानने का कठिन जतन करें। हमको इसका पता है कि वह आ रहा है वैसे ही जैसे हम को ज्ञान है कि प्रभात आ रहा है। यहोवा हमारे पास वैसे ही आयेगा जैसे कि बसंत कि वह वर्षा आती है जो धरती को सींचती है।
आत्मा और दुल्हिन कहती है, “आ!” और जो इसे सुनता है, वह भी कहे, “आ!” और जो प्यासा हो वह भी आये और जो चाहे वह भी इस जीवन दायी जल के उपहार को मुक्त भाव से ग्रहण करें।