“किन्तु परमेस्वर, क्या तू सचमुच इस पृथ्वी पर हम लोगों के साथ रहेगा तुझको सारा आकाश और स्वर्ग के उच्चतम स्थान भी धारण नहीं कर सकते। निश्चय ही यह मन्दिर भी, जिसे मैंने बनाया है, तुझको धारण नहीं कर सकता।
यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है! वही धरती के चक्र के ऊपर बैठता है! उसकी तुलना में लोग टिड्डी से लगते हैं। उसने आकाशों को किसी कपड़े के टुकड़े की भाँति खोल दिया। उसने आकाश को उसके नीचे बैठने को एक तम्बू की भाँति तान दिया।
यहोवा यह कहता है, “आकाश मेरा सिंहासन है। धरती मेरे पाँव की चौकी बनी है। सो क्या तू यह सोचता है कि तू मेरे लिये भवन बना सकता है नहीं, तू नहीं बना सकता। क्या तू मुझको विश्रामस्थल दे सकता है नहीं, तू नहीं दे सकता।