इस धरती पर हर कहीं हम परमेश्वर के स्तुति गीत सुनेंगे। इन गीतों में परमेश्वर की स्तुति होगी। किन्तु मैं कहता हूँ, “मैं बरबाद हो रहा हूँ। मैं जो कुछ भी देखता हूँ सब कुछ भयंकर है। गद्दार लोग, लोगों के विरोधी हो रहे हैं, और उन्हें चोट पहुँचा रहे हैं।”
हे आकाशों, हे धरती, तुम प्रसन्न हो जाओ! हे पर्वतों, आनन्द से जयकारा बोलो! क्यों क्योंकि यहोवा अपने लोगों को सुख देता है। यहोवा अपने दीन हीन लोगों के लिये बहुत दयालु है।
फिर पश्चिम के लोग यहोवा के नाम को आदर देंगे और पूर्व के लोग यहोवा की महिमा से भय विस्मित हो जायेंगे। यहोवा ऐसे ही शीघ्र आ जायेगा जैसे तीव्र नदी बहती हुई आ जाती है। यह उस तीव्र वायु वेग सा होगा जिसे यहोवा उस नदी को तूफान बहाने के लिये भेजता है।
“संसार में सर्वत्र लोग मेरे नाम का सम्मान करते हैं। संसार में सर्वत्र लोग मेरे लिये अच्छी भेंट लाते हैं। वे अच्छी सुगन्धि मेरी भेंट के रप में जलाते हैं। क्यों क्योंकि मेरा नाम उन सभी लोगों के लिये महत्वपूर्ण है।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा।
सातवें स्वर्गदूत ने जब अपनी तुरही फूँकी तो आकाश में तेज आवाज़ें होने लगीं। वे कह रही थीं: “अब जगत का राज्य हमारे प्रभु का है, और उसके मसीह का ही। अब वह सुशासन युगयुगों तक करेगा।”