फिर एक स्वर ने उससे कहा, “पतरस उठ। मार और खा।”
उसे भूख लगी, सो वह कुछ खाना चाहता था। वे जब भोजन तैयार कर ही रहे थे तो उसकी समाधि लग गयी।
उस पर हर प्रकार के पशु, धरती के रेंगने वाले जीवजंतु और आकाश के पक्षी थे।
पतरस ने कहा, “प्रभु, निश्चित रूप से नहीं, क्योंकि मैंने कभी भी किसी तुच्छ या समय के अनुसार अपवित्र आहार को नहीं लिया है।”