उस पर हर प्रकार के पशु, धरती के रेंगने वाले जीवजंतु और आकाश के पक्षी थे।
भेड़िये और मेमनें एक साथ चरते फिरेंगे। सिंह भी मवेशियों के जैसे ही भूसा चरेंगे और भुजंगों का भोजन बस मिट्टी ही होगी। मेरे पवित्र पर्वत पर कोई किसी को भी हानि नहीं पहुँचायेगा और न ही उन्हें नष्ट करेगा।” यह यहोवा ने कहा है।
“और सभी ऐसे कीट पतंगे जिनके पंख होते हैं तथा जो रेंग कर चलते भी हैं। ये घिनौने कीट पतंगे हैं!
पर्व के अन्तिम और महत्वपूर्ण दिन यीशु खड़ा हुआ और उसने ऊँचे स्वर में कहा, “अगर कोई प्यासा है तो मेरे पास आये और पिये।
और उसने देखा कि आकाश खुल गया है और एक बड़ी चादर जैसी कोई वस्तु नीचे उतर रही है। उसे चारों कोनों से पकड़ कर धरती पर उतारा जा रहा है।
फिर एक स्वर ने उससे कहा, “पतरस उठ। मार और खा।”
मैंने उसको ध्यान से देखा। मैंने देखा कि उसमें धरती के चौपाये जीव-जंतु, जँगली पशु रेंगने वाले जीव और आकाश के पक्षी थे।
और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशवान मनुष्यों, चिड़ियाओं, पशुओं और साँपों से मिलती जुलती मूर्तियों में उन्होंने ढाल दिया।