यहोवा ने कहा, ‘क्या तुममें से कोई राजा अहाब को चकमा दे सकता है मैं उसे रामोत में अराम की सेना के विरुद्ध युद्ध करने के लिये जाने देना चाहता हूँ। तब वह मारा जाएगा।’ स्वर्गदूतों को क्या करना चाहिये, इस पर वे सहमत न हो सके।
मैंने मिस्रियों को साहसी बनाया है। इस प्रकार वे तुम्हारा पीछा करेंगे। किन्तु मैं दिखाऊँगा कि मैं फ़िरौन, उसके सभी घुड़सवारों और रथों से अधिक शक्तिशाली हूँ।
मैं फ़िरौन की हिम्मत बढ़ाऊँगा ताकि वह तुम लोगों का पीछा करे। किन्तु फ़िरौन और उसकी सेना को हराऊँगा। इससे मुझे गौरव प्राप्त होगा। तब मिस्र के लोग जानेंगे कि मैं ही यहोवा हूँ।” इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर का आदेश माना अर्थात् उन्होंने वही किया जो उसने कहा।
हाँ, ये सचमुच हुआ! फ़िरौन के घोड़े, सवार और रथ समुद्र में चले गए और यहोवा ने उन्हें समुद्र के पानी से ढक दिया। किन्तु इस्राएल के लोग सूखी ज़मीन पर चलकर समुद्र के पार चले गए।
“शत्रु ने कहा, ‘मैं उनका पीछा करूँगा और उनको पकड़ूँगा। मैं उनका सारा धन लूँगा। मैं अपनी तलवार चलाऊँगा और उनसे हर चीज़ लूँगा। मैं अपने हाथों का उपयोग करूँगा और अपने लिए सब कुछ लूँगा।’
इस जीवन में जो भी कुछ घटित होता है उसमें सबसे बुरी बात यह है कि सभी लोगों का अन्त एक ही तरह से होता है। साथ ही यह भी बहुत बुरी बात है कि लोग जीवन भर सदा ही बुरे और मूर्खतापूर्ण विचारों में पड़े रहते हैं और अन्त में मर जाते हैं।