“मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा। मैं तुम्हारे नाम को प्रसिद्ध करूँगा। लोग तुम्हारे नाम का प्रयोग दूसरों के कल्यान के लिए करेंगे।
तब परमेश्वर अब्राम को बाहर ले गया। परमेश्वर ने कहा, “आकाश को देखो। अनेक तारों को देखो। ये इतने हैं कि तुम गिन नहीं सकते। भविष्य में तुम्हारा कुटुम्ब ऐसा ही होगा।”
मिस्र के लोग इस्राएल के लोगों का जीवन कठिन बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इस्राएल के लोगों पर दास—स्वामी नियुक्त किए। उन स्वामियों ने फ़िरौन के लिए पितोम और रामसेस नगरों को बनाने के लिए इस्राएली लोगों को विवश किया। उन्होंने इन नगरों में अन्न तथा अन्य चीज़ें इकट्ठी कीं।
मूसा ने उत्तर दिया, “हमारे युवक और बूढ़े लोग जाएंगे और हम लोग अपने साथ अपने पुत्रों और पुत्रियों, तथा भेड़ों और पशुओं को भी ले जाएंगे। हम सभी जाएंगे क्योंकि यह हमारे लिए हम लोगों के यहोवा का त्यौहार है।”
यह चाँदी उनके द्वारा कर वसूल करने से आई। लेवी पुरुषों ने बीस वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की गणना की। छः लाख तीन हज़ार पाँच सौ पचास लोग थे और हर एक पुरुष को एक बेका चाँदी कर के रूप में देनी थी। (मन्दिर के अधिकारिक बाट के अनुसार एक बेका आधा शेकेल होता था।)
इस प्रकार ये इस्राएल के लोग थे। वे परिवार के अनुसार गिने गये थे। सभी डेरों में अलग—अलग समूहों के सभी परिवारों के पुरुषों की समूची संख्या थी छः लाख तीन हजार पाँच सौ पचास।
प्रथम महीने के पन्द्रहवें दिन उन्होंने रामसेस छोड़ा। फसह पर्व के बाद सवेरे, इस्राएल के लोगों ने विजय के साथ अपने अस्त्र—शस्त्रों को उठाए हुए मिस्र से बाहर प्रस्थान किया। मिस्र के सभी लोगों ने उन्हें देखा।