और मत सोचो कि अपने आप से यह कहना ही काफी होगा कि ‘हम इब्राहीम की संतान हैं।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर इब्राहीम के लिये इन पत्थरों से भी बच्चे पैदा करा सकता है।
और क्योंकि हम उसकी संतान हैं, हम भी उत्तराधिकारी हैं, परमेश्वर के उत्तराधिकारी और मसीह के साथ हम उत्तराधिकारी यदि वास्तव में उसके साथ दुःख उठाते हैं तो हमें उसके साथ महिमा मिलेगी ही।
तुम्हारे सामने जो तथ्य हैं उन्हें देखो। यदि कोई अपने मन में यह मानता है कि वह मसीह का है, तो वह अपने बारे में फिर से याद करे कि वह भी उतना ही मसीह का है जितना कि हम है।
वैसे ही इब्राहीम और उसके भावी वंशज के साथ की गयी प्रतिज्ञा के संदर्भ में भी है। (देखो, शास्त्र यह नहीं कहता, “और उसके वंशजों को” यदि ऐसा होता तो बहुतों की ओर संकेत होता किन्तु शास्त्र में एक वचन का प्रयोग है। शास्त्र कहता है, “और तेरे वंशज को” जो मसीह है।)
क्योंकि यदि उत्तराधिकार व्यवस्था के विधान पर टिका है तो फिर वह वचन पर नहीं टिकेगा। किन्तु परमेश्वर ने उत्तराधिकार वचन के द्वारा मुक्त रूप से इब्राहीम को दिया था।
विश्वास के कारण ही नूह को जब उन बातों की चेतावनी दी गयी जो उसने देखी तक नहीं थी तो उसने पवित्र भयपूर्वक अपने परिवार को बचाने के लिए एक नाव का निर्माण किया था। अपने विश्वास से ही उसने इस संसार को दोषपूर्ण माना और उस धार्मिकता का उत्तराधिकारी बना जो विश्वास से आती है।
परमेश्वर इसे उन लोगों के लिए, पूरी तरह स्पष्ट कर देना चाहता था, जिन्हें उसे पाना था, जिसे देने की उसने प्रतिज्ञा की थी कि वह अपने प्रयोजन को कभी नहीं बदलेगा। इसलिए अपने वचन के साथ उसने अपनी शपथ को जोड़ दिया।
हे मेरे प्यारे भाईयों, सुनो क्या परमेश्वर ने संसार की आँखों में उन निर्धनों को विश्वास में धनी और उस राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में नहीं चुना, जिसका उसने, जो उसे प्रेम करते हैं, देने का वचन दिया है।