सरूग के जन्म के बाद रु दो सौ सात वर्ष और जीवित रहा। इन दिनों उसके दूसरे पुत्र और पुत्रियाँ हुईं।
जब रु बत्तीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र सरूग का जन्म हुआ।
जब सरुग तीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र नाहोर का जन्म हुआ।