एक दिन तुम अपनी अँगूर की उन बेलों को रोपोगे और उनकी बढ़वार का जतन करोगे। अगले दिन, वे पौधे बढ़ने भी लगेंगे किन्तु फसल उतारने के समय जब तुम उन बेलों के फल इकट्ठे करने जाओगे तब देखोगे कि सब कुछ सूख चुका है। एक बीमारी सभी पौधों का अंत कर देगी।
“जिस प्रकार तुम रहे और तुमने पाप किया उसी से तुम पर यह विपत्ति आई। यह तुम्हारे पाप ही हैं जिसने जीवन को इतना कठिन बनाया है। यह तुम्हारा पाप ही है जो उस पीड़ा को लाया जो तुम्हारे हृदय को बेधती है।”
इस्राएल के लोगों ने एक ऐसा काम किया जो मूर्खता से भरा था। वह ऐसा काम था जैसे कोई हवा को बोने लगे। किन्तु उनके हाथ बस विपत्तियाँ लगेंगी—वे केवल एक बवण्डर काट पायेंगे। खेतों के बीच में अनाज तो उगेगा नहीं, इससे वे भोजन नहीं पायेंगे, और यदि थोड़ा बहुत उग भी जाये तो उसको पराये खा जायेंगे।