सूर्य प्रफुल्ल हुए दुल्हे सा अपने शयनकक्षा से निकलता है। सूर्य अपनी राह पर आकाश को पार करने निकल पड़ता है, जैसे कोई खिलाड़ी अपनी दौड़ पूरी करने को तत्पर हो।
मैंने उनको ध्यान से सुना है, किन्तु वे वह नहीं कहते जो सत्य है। लोग अपने पाप के लिये पछताते नहीं। लोग उन बुरे कामों पर विचार नहीं करते जिन्हें उन्होंने किये हैं। परत्येक अपने मार्ग पर वैसे ही चला जा रहा है। वे युद्ध में दौड़ते हुए घोड़ों के समान हैं।
यहोवा कहता है, “बुद्धिमान को अपनी बुद्धिमानी की डींग नहीं मारनी चाहिए। शक्तिशाली को अपने बल का बखान नहीं करना चाहिए। सम्पत्तिशाली को अपनी सम्पत्ति की हवा नहीं बांधनी चाहिए।