“अरे ओ विवेकी पुरुषों तुम ध्यान से सुनो जो बातें मैं कहता हूँ। अरे ओ चतुर लोगों, मुझ पर ध्यान दो।
फिर एलीहू ने बात को जारी रखते हुये कहा:
कान उन सब को परखता है जिनको वह सुनता है, ऐसे ही जीभ जिस खाने को छूती है, उसका स्वाद पता करती है।
बुद्धिमान उन्हें सुन कर निज ज्ञान बढ़ावें और समझदार व्यक्ति दिशा निर्देश पायें,
तुम्हें समझदार समझ कर मैं ऐसा कह रहा हूँ। जो मैं कह रहा हूँ, उसे अपने आप परखो।
हे भाईयों, अपने विचारों में बचकाने मत रहो बल्कि बुराइयों के विषय में अबोध बच्चे जैसे बने रहो। किन्तु अपने चिन्तन में सयाने बनो।