जल पत्थरों के ऊपर से बहता है और उन को घिस डालता है तथा धरती की मिट्टी को जल बहाकर ले जाती है। हे परमेश्वर, उसी तरह व्यक्ति की आशा को तू बहा ले जाता है।
“मेरी शक्ति क्षीण हो चुकी है अत: जीते रहने की आशा मुझे नहीं है। मुझ को पता नहीं कि अंत में मेरे साथ क्या होगा इसलिये धीरज धरने का मेरे पास कोई कारण नहीं है।
मैंने अपने मन में कहा कि मैं तब तक जीऊँगा जब तक बूढ़ा होऊँगा। किन्तु मेरा काल आ गया था कि मैं मृत्यु के द्वार से गुजरुँ। अब मैं अपना समय यहीं पर बिताऊँगा।
तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियाँ इस्राएल के पूरे परिवार की तरह हैं! इस्राएल के लोग कहते है, हमारी हड्डियाँ सूख गई है, ‘हमारी आशा समाप्त है। हम पूरी तरह नष्ट किये जा चुके हैं।’