तुम विश्वासियों के लिये बहुमूल्य है किन्तु जो विश्वास नहीं करते हैं उनके लिए: “वही पत्थर जिसे शिल्पियों ने नकारा था सब से महत्वपूर्ण कोने का पत्थर बन गया।”
मैं सभी राष्ट्रों को कंपा दूंगा और वे सभी राष्ट्र अपनी सम्पत्ति के साथ तुम्हारे पास आएंगे। तब मैं इस मंदिर को गौरव से भर दूंगा!’ सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है।
वह ऊँचा पर्वत जरूब्बाबेल के लिये समतल भूमि—सा होगा। वह मंदिर को बनायेगा और जब अन्तिम पत्थर उस स्थान पर रखा जाएगा तब लोग चिल्ला उठेंगे— ‘सुन्दर! अति सुन्दर।’”
यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुमने शास्त्र का वह वचन नहीं पढ़ा: ‘जिस पत्थर को मकान बनाने वालों ने बेकार समझा, वही कोने का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पत्थर बन गया? ऐसा प्रभु के द्वारा किया गया जो हमारी दृष्टि में अद्भुत है।’
फिर शमौन ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसकी माँ मरियम से कहा, “यह बालक इस्राएल में बहुतों के पतन या उत्थान के कारण बनने और एक ऐसा चिन्ह ठहराया जाने के लिए निर्धारित किया गया है जिसका विरोध किया जायेगा।
तब यीशु ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “तो फिर यह जो लिखा है उसका अर्थ क्या है: ‘जिस पत्थर को कारीगरों ने बेकार समझ लिया था वही कोने का प्रमुख पत्थर बन गया?’
उन्होंने उस स्त्री से कहा, “अब हम केवल तुम्हारी साक्षी के कारण ही विश्वास नहीं रखते बल्कि अब हमने स्वयं उसे सुना है। और अब हम यह जान गये हैं कि वास्तव में यही वह व्यक्ति है जो जगत का उद्धारकर्ता है।”
किन्तु उनके लिये जो विनाश के मार्ग पर हैं, यह मृत्यु की ऐसी दुर्गन्ध है, जो मृत्यु की ओर ले जाती है। पर उनके लिये जो उद्धार के मार्ग पर बढ़ रहे हैं, यह जीवन की ऐसी सुगंध है, जो जीवन की ओर अग्रसर करती है। किन्तु इस काम के लिये सुपात्र कौन है?
यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे।
यद्यपि तुमने उसे देखा नहीं है, फिर भी तुम उसे प्रेम करते हो। यद्यपि तुम अभी उसे देख नहीं पा रहे हो, किन्तु फिर भी उसमें विश्वास रखते हो और एक ऐसे आनन्द से भरे हुए हो जो अकथनीय एवं महिमामय है।
तथा वह बन गया: “एक ऐसा पत्थर जिससे लोगों को ठेस लगे और ऐसी एक चट्टान जिससे लोगों को ठोकर लगे।” लोग ठोकर खाते हैं क्योंकि वे परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते और बस यही उनके लिए ठहराया गया है।