शास्त्र में लिखा है: “देखो, मैं सिय्योन में एक कोने का पत्थर रख रहा हूँ, जो बहुमूल्य है और चुना हुआ है इस पर जो कोई भी विश्वास करेगा उसे कभी भी नहीं लजाना पड़ेगा।”
वे दुष्ट मनुष्य मुझे मारने का जतन करते हैं। हे यहोवा, उन्हें लज्जित कर और उनको निराश कर दे। वे मनुष्य मुझे दु:ख पहुँचाना चाहते हैं। तू उन्हें अपमानित होकर भागने दे!
इस्राएल तूने निज सच्चे भक्तों को दर्शन दिये और कहा, “फिर मैंने लोगों के बीच से एक युवक को चुना, और मैंने उस युवक को महत्वपूर्ण बना दिया, और मैंने उस युवक को बलशाली बना दिया।
इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।
“मेरे दास को देखो! मैं ही उसे सभ्भाला हूँ। मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ। मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ। वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।
तू भयभीत मत हो, तू लज्जित नहीं होगी। अपना मन मत हार क्योंकि तुझे अपमानित नहीं होना होगा। जब तू जवान थी, तू लज्जित हुई थी किन्तु उस लज्जा को अब तू भूलेगी। अब तुझको वो लाज नहीं याद रखनी हैं तूने जिसे उस काल में भोगा था जब तूने अपना पति खोया था।
किन्तु दानिय्येल अपने जाने से पहले तुम को सबसे पहले यह बताना है कि सत्य की पुस्तक में क्या लिखा है। उन बुरे राजकुमारों (स्वर्गदूतों) के विरोध में मीकाएल स्वर्गदूत के अलावा मेरे साथ कोई नहीं खड़ा होता। मीकाएल वह राजकुमार है (स्वर्गदूत) जो तेरे लोगों पर शासन करता है।
“कोने का पत्थर, डेरे की खूँटी, यद्ध का धनुष और आग बढते सैनिक सभी यहुदा के साथ आएंगे। वे अपने शत्रुओ को पराजित करेंगे, यह कीचङ मैं आगे बढ़ते सैनिकों जैसा होंगे।
“यह मेरा सेवक है, जिसे मैने चुना है। यह मेरा प्यारा है, मैं इससे आनन्दित हूँ। अपनी ‘आत्मा’ इस पर मैं रखूँगा सब देशों के सब लोगों को यही न्याय घोषणा करेगा।
तब यीशु ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “तो फिर यह जो लिखा है उसका अर्थ क्या है: ‘जिस पत्थर को कारीगरों ने बेकार समझ लिया था वही कोने का प्रमुख पत्थर बन गया?’
वहाँ खड़े लोग देख रहे थे। यहूदी नेता उसका उपहास करते हुए बोले, “इसने दूसरों का उद्धार किया है। यदि यह परमेश्वर का चुना हुआ मसीह है तो इसे अपने आप अपनी रक्षा करने दो।”
“हे मेरे भाईयों, यीशु को बंदी बनाने वालों के अगुआ यहूदा के विषय में, पवित्र शास्त्र का वह लेख जिसे दाऊद के मुख से पवित्र आत्मा ने बहुत पहले ही कह दिया था, उसका पूरा होना आवश्यक था। वह हम में ही गिना गया था और इस सेवा में उसका भी भाग था।”
संसार की रचना से पहले ही परमेश्वर ने हमें, जो मसीह में स्थित हैं, अपने सामने पवित्र और निर्दोष बनने कि लिये चुना। हमारे प्रति उसका जो प्रेम है उसी के कारण उसने यीशु मसीह के द्वारा हमें अपने बेटों के रूप में स्वीकार किये जाने के लिए नियुक्त किया। यही उसकी इच्छा थी और यही प्रयोजन भी था।
सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है। यह लोगों को सत्य की शिक्षा देने, उनको सुधारने, उन्हें उनकी बुराइयाँ दर्शाने और धार्मिक जीवन के प्रशिक्षण में उपयोगी है।
तथा वह बन गया: “एक ऐसा पत्थर जिससे लोगों को ठेस लगे और ऐसी एक चट्टान जिससे लोगों को ठोकर लगे।” लोग ठोकर खाते हैं क्योंकि वे परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते और बस यही उनके लिए ठहराया गया है।
अपने अन्य सभी पत्रों के समान उस पत्र में उसने इन बातों के विषय में कहा है। उन पत्रों में कुछ बातें ऐसी हैं जिनका समझना कठिन है। अज्ञानी और अस्थिर लोग उनके अर्थ का अनर्थ करते हैं। दूसरे शास्त्रों के साथ भी वे ऐसा ही करते हैं। इससे वे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं।