शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “खाल के बदले खाल; परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है।
यिर्मयाह 41:8 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु उनमें से दस मनुष्य इश्माएल से कहने लगे, “हम को न मार; क्योंकि हमारे पास मैदान में रखा हुआ गेहूँ, जौ, तेल और मधु है।” इसलिये उसने उन्हें छोड़ दिया और उनके भाइयों के साथ नहीं मारा। पवित्र बाइबल किन्तु बचे हुए दस व्यक्तियों ने इश्माएल से कहा, “हमें मत मारो। हमारे पास गेहूँ और जौ है और हमारे पास तेल और शहद है। हम लोगों ने उन चीज़ों को एक खेत में छिपा रखा है।” अत: इश्माएल ने उन व्यक्तियों को छोड़ दिया। उसने अन्य लोगों के साथ उनको नहीं मारा। Hindi Holy Bible परन्तु उन में से दस मनुष्य इश्माएल से कहने लगे, हम को न मार; क्योंकि हमारे पास मैदान में रखा हुआ गेहूं, जव, तेल और मधु है। सो उसने उन्हें छोड़ दिया और उनके भाइयों के साथ नहीं मारा। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) किन्तु उन में से दस आदमी बच गए। उन्होंने यिश्माएल से कहा, ‘हमें मत मारो; हमारे पास गेहूं, जौ, तेल और शहद है, जो हमने खेतों में छिपा दिया है।’ अत: यिश्माएल ने उनको छोड़ दिया और उनके साथियों के साथ उन्हें नहीं मारा। सरल हिन्दी बाइबल किंतु इन अस्सी में से दस जीवित रह गए थे, उन्होंने इशमाएल से आग्रह किया, “हमें जीवनदान दीजिए! हमारे पास गेहूं, जौ, मधु तथा तेल का भंडार है, जिसे हमने खेत में छिपा रखा है.” तब इशमाएल ने अन्य सत्तर के साथ उनकी हत्या नहीं की. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु उनमें से दस मनुष्य इश्माएल से कहने लगे, “हमको न मार; क्योंकि हमारे पास मैदान में रखा हुआ गेहूँ, जौ, तेल और मधु है।” इसलिए उसने उन्हें छोड़ दिया और उनके भाइयों के साथ नहीं मारा। |
शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “खाल के बदले खाल; परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है।
मैं तुझ को अन्धकार में छिपा हुआ और गुप्त स्थानों में गड़ा हुआ धन दूँगा, जिस से तू जाने कि मैं इस्राएल का परमेश्वर यहोवा हूँ जो तुझे नाम लेकर बुलाता है।
जिस गड़हे में इश्माएल ने उन लोगों के सब शवों को जिन्हें उसने गदल्याह के साथ मारा था फेंक दिया था (यह वही गड़हा है जिसे आसा राजा ने इस्राएल के राजा बाशा के डर के मारे खुदवाया था), उसको नतन्याह के पुत्र इश्माएल ने मारे हुओं से भर दिया।
यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले क्या देगा?
इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे और क्या पीएँगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?