मत्ती 6 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)दान 1 “सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। 2 “इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसे कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें। मैं तुम से सच कहता हूँ कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बायाँ हाथ न जानने पाए। 4 ताकि तेरा दान गुप्त रहे, और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। प्रार्थना ( लूका 11:2–4 ) 5 “जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो, क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये आराधनालयों में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उनको अच्छा लगता है। मैं तुम से सच कहता हूँ कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर। तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों के समान बक–बक न करो, क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उनकी सुनी जाएगी। 8 इसलिये तुम उन के समान न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता है कि तुम्हारी क्या–क्या आवश्यकताएँ हैं। 9 “अत: तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो: ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। 10 ‘तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो। 11 ‘हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। 12 ‘और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। 13 ‘और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; (क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।’ आमीन।) 14 “इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। 15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।* उपवास 16 “जब तुम उपवास करो, तो कपटियों के समान तुम्हारे मुँह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुँह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें। मैं तुम से सच कहता हूँ कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 17 परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुँह धो, 18 ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने। इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। स्वर्गीय धन ( लूका 12:33 , 34 ) 19 “अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो, जहाँ कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहाँ न तो कीड़ा और न काई बिगाड़ते हैं, और जहाँ चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 21 क्योंकि जहाँ तेरा धन है वहाँ तेरा मन भी लगा रहेगा। शरीर की ज्योति ( लूका 11:34–36 ) 22 “शरीर का दीया आँख है : इसलिये यदि तेरी आँख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा। 23 परन्तु यदि तेरी आँख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्धियारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्धकार हो तो वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा! परमेश्वर और धन ( लूका 16:13 ; 12:22–31 ) 24 “कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर और दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्छ जानेगा। तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते। 25 इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे और क्या पीएँगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं? 26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते? 27 तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? 28 “और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो परिश्रम करते, न कातते हैं। 29 तौभी मैं तुम से कहता हूँ कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उनमें से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था। 30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियो, तुम को वह इनसे बढ़कर क्यों न पहिनाएगा? 31 “इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहिनेंगे। 32 क्योंकि अन्यजातीय इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, पर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है। 33 इसलिये पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। 34 अत: कल की चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दु:ख बहुत है। |
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
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