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मत्ती 6:27 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?

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पवित्र बाइबल

तुम में से क्या कोई ऐसा है जो चिंता करके अपने जीवन काल में एक घड़ी भी और बढ़ा सकता है?

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Hindi Holy Bible

तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

चिन्‍ता करने से तुम में से कौन अपनी आयु एक घड़ी भर भी बढ़ा सकता है?

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नवीन हिंदी बाइबल

तुममें से कौन है जो चिंता करके अपनी आयु में एक घड़ीभी बढ़ा सकता है?

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सरल हिन्दी बाइबल

और तुममें ऐसा कौन है, जो चिंता के द्वारा अपनी आयु में एक क्षण की भी वृद्धि कर सकता है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपने जीवनकाल में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?

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मत्ती 6:27
14 क्रॉस रेफरेंस  

मैं जानता हूँ कि जो कुछ परमेश्‍वर करता है वह सदा स्थिर रहेगा; न तो उसमें कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है; परमेश्‍वर ऐसा इसलिये करता है कि लोग उसका भय मानें।


अपने सिर की भी शपथ न खाना क्योंकि तू एक बाल को भी न उजला, न काला कर सकता है।


इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे और क्या पीएँगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?


“और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो परिश्रम करते, न कातते हैं।


“इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहिनेंगे।


अत: कल की चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दु:ख बहुत है।


प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है।


“जब लोग तुम्हें सभाओं और हाकिमों और अधिकारियों के सामने ले जाएँ, तो चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें।


फिर उसने अपने चेलों से कहा, “इसलिये मैं तुम से कहता हूँ, अपने प्राण की चिन्ता न करो कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।


परन्तु सचमुच परमेश्‍वर ने अंगों को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है।


किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ।


अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है।