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मत्ती 6:31 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

31 “इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना कि हम क्या खाएँगे, या क्या पीएँगे, या क्या पहिनेंगे।

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पवित्र बाइबल

31 “इसलिये चिंता करते हुए यह मत कहो कि ‘हम क्या खायेंगे या हम क्या पीयेंगे या क्या पहनेंगे?’

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Hindi Holy Bible

31 इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

31 “इसलिए चिन्‍ता मत करो। यह मत कहो कि हम क्‍या खाएँगे, क्‍या पियेंगे, क्‍या पहनेंगे।

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नवीन हिंदी बाइबल

31 इसलिए यह कहकर चिंता न करो, ‘हम क्या खाएँगे?’ या ‘क्या पीएँगे?’ या फिर ‘क्या पहनेंगे?’

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सरल हिन्दी बाइबल

31 इसलिए इस विषय में चिंता न करो, ‘हम क्या खाएंगे या क्या पिएंगे’ या ‘हमारे वस्त्रों का प्रबंध कैसे होगा?’

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मत्ती 6:31
16 क्रॉस रेफरेंस  

अमस्याह ने परमेश्‍वर के भक्‍त से पूछा, “फिर जो सौ किक्‍कार* चाँदी मैं इस्राएली दल को दे चुका हूँ, उसके विषय क्या करूँ?” परमेश्‍वर के भक्‍त ने उत्तर दिया, “यहोवा तुझे इससे भी बहुत अधिक दे सकता है।”


उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।


यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्‍चाई में मन लगाए रह।


अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।


चेलों ने उससे कहा, “हमें इस जंगल में कहाँ से इतनी रोटी मिलेगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को तृप्‍त करें?”


यीशु ने उत्तर दिया : “लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा।’ ”


इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएँगे और क्या पीएँगे; और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे। क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?


तुम में कौन है, जो चिन्ता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?


प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है।


“जब लोग तुम्हें सभाओं और हाकिमों और अधिकारियों के सामने ले जाएँ, तो चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें।


फिर उसने अपने चेलों से कहा, “इसलिये मैं तुम से कहता हूँ, अपने प्राण की चिन्ता न करो कि हम क्या खाएँगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।


और तुम इस बात की खोज में न रहो कि क्या खाएँगे और क्या पीएँगे, और न सन्देह करो।


किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ।


अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है।


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