उसी दिन इसहाक के दासों ने आकर अपने उस खोदे हुए कुएँ का वृतान्त सुना के कहा, “हम को जल का एक सोता मिला है।”
नीतिवचन 2:4 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और उसको चाँदी के समान ढूँढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; पवित्र बाइबल यदि तू इसे ऐसे ढूँढे जैसे कोई मूल्यवान चाँदी को ढूँढता है, और तू इसे ऐसे ढूँढ, जैसे कोई छिपे हुए कोष को ढूँढता है Hindi Holy Bible ओर उस को चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे; पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि तू चांदी की खान के सदृश उसको खोजे, और गुप्त खजाने के समान उसको ढूंढ़ता रहे, नवीन हिंदी बाइबल और उसे चाँदी के समान ढूँढ़े, और छिपे हुए धन के समान उसकी खोज में लगा रहे, सरल हिन्दी बाइबल यदि तुम इसकी खोज उसी रीति से करो जैसी चांदी के लिए की जाती है और इसे एक गुप्त निधि मानते हुए खोजते रहो, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उसको चाँदी के समान ढूँढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; (मत्ती 13:44) |
उसी दिन इसहाक के दासों ने आकर अपने उस खोदे हुए कुएँ का वृतान्त सुना के कहा, “हम को जल का एक सोता मिला है।”
वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकनेवाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं।
बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चाँदी से बढ़कर योग्य है।
बुद्धि श्रेष्ठ है इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए।
जो मुझ से प्रेम रखते हैं, उनसे मैं भी प्रेम रखती हूँ, और जो मुझ को यत्न से तड़के उठकर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं।
कोई अकेला रहता है और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आँखें धन से सन्तुष्ट होती हैं; और न वह कहता है, मैं किसके लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।
“स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया।
और जिस किसी ने घरों, या भाइयों, या बहिनों, या पिता, या माता, या बाल–बच्चों, या खेतों को मेरे नाम के लिए छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा।
“स्वामी ने उस अधर्मी भण्डारी को सराहा कि उसने चतुराई से काम किया है। क्योंकि इस संसार के लोग अपने समय के लोगों के साथ रीति–व्यवहारों में ज्योति के लोगों से अधिक चतुर हैं।