दाऊद ने मृतक से कहा, ‘तेरे रक्त का दोष तेरे ही सिर पर पड़े; क्योंकि तेरे ओंठों ने स्वयं तेरे विरुद्ध साक्षी दी है: तूने यह कहा था, “मैंने ही प्रभु के अभिषिक्त राजा को मार डाला है।” ’
सभोपदेशक 10:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) बुद्धिमान मनुष्य के मुख के शब्द उसके लिए दूसरों की कृपा के साधन हैं। किन्तु मूर्ख मनुष्य के ओंठ उसके विनाश के कारण हैं। पवित्र बाइबल बुद्धिमान के शब्द प्रशंसा दिलाते हैं। किन्तु मूर्ख के शब्दों से विनाश होता है। Hindi Holy Bible बुद्धिमान के वचनों के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु मूर्ख अपने वचनों के द्वारा नाश होते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) बुद्धिमान के वचनों के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु मूर्ख अपने वचनों के द्वारा नष्ट होते हैं। नवीन हिंदी बाइबल बुद्धिमान के मुख से निकले वचन कृपा का कारण होते हैं, परंतु मूर्ख के होंठ उसके विनाश का कारण बनते हैं; सरल हिन्दी बाइबल बुद्धिमान की बातों में अनुग्रह होता है, जबकि मूर्खों के ओंठ ही उनके विनाश का कारण हो जाते है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 बुद्धिमान के वचनों के कारण अनुग्रह होता है, परन्तु मूर्ख अपने वचनों के द्वारा नाश होते हैं। |
दाऊद ने मृतक से कहा, ‘तेरे रक्त का दोष तेरे ही सिर पर पड़े; क्योंकि तेरे ओंठों ने स्वयं तेरे विरुद्ध साक्षी दी है: तूने यह कहा था, “मैंने ही प्रभु के अभिषिक्त राजा को मार डाला है।” ’
मैं अपनी थोथी बातों से तुम्हें बल प्रदान करता, मेरी बनावटी सांत्वना तुम्हारे दर्द को कम करती!
जो मनुष्य आंखों से संकेत की भाषा में बात करता है, वह दूसरों को दु:ख देता है; पर साहस से चेतावनी देनेवाला मनुष्य शान्ति स्थापित करता है।
बुद्धिमान मनुष्य हृदय से आज्ञाओं पर ध्यान देता है; पर बकवादी मूर्ख पूर्णत: नष्ट हो जाता है।
बिना सोच-विचार के बोलनेवाले मनुष्य के शब्द तलवार की तरह बेधते हैं; पर बुद्धिमान की बातें मलहम का काम करती हैं।
बुद्धिमान के कंठ से ज्ञान की धारा प्रवाहित होती है; किन्तु मूर्ख अपने मुंह से केवल मूर्खता ही निकालता है।
समय पर उपयुक्त उत्तर देना मनुष्य को आनन्द प्रदान करता है; अवसर पर कही गई बात कितनी भली होती है।
जो मनुष्य अपने हृदय को शुद्ध रखना पसन्द करता है; जिसकी बातों में मिठास होती है, राजा उसको अपना मित्र बनाता है।
बुद्धिमान व्यक्ति के कथन अंकुश की तरह होते हैं। सभा के मुखियों के द्वारा दिए गए ये संकलित कथन, मजबूती से ठोंकी गई खूंटियों के समान हैं, क्योंकि इनका दाता एकमात्र ‘चरवाहा’ है।
अपने मुंह से कोई बात जल्दी मत निकालो, और न उतावली में अपने हृदय की बात परमेश्वर के सम्मुख प्रकट करो, क्योंकि परमेश्वर तो स्वर्ग में है, और तुम पृथ्वी पर। अत: तुम्हारे शब्द थोड़े ही हों।
तुम अपने मुंह से ऐसे शब्द न निकालो जो तुम्हें पाप में फंसाएं। स्वर्गदूत के सम्मुख यह न कहो कि मुझसे भूल हो गयी। अन्यथा परमेश्वर तुम्हारी आवाज सुन कर क्रुद्ध होगा, और वह परिश्रम से किए गए तुम्हारे काम को नष्ट कर देगा।
बुद्धिमान मनुष्य के शान्ति से सुने हुए शब्द मूर्खों के मध्य शासक द्वारा चिल्लाकर कहे गए शब्दों से श्रेष्ठ हैं।
अच्छा मनुष्य अपने अच्छे भण्डार से अच्छी वस्तुएँ निकालता है और बुरा मनुष्य अपने बुरे भण्डार से बुरी वस्तुएँ।
स्वामी ने उससे कहा, ‘दुष्ट सेवक! मैं तेरे ही शब्दों से तेरा न्याय करूँगा। तू जानता था कि मैं निर्दय व्यक्ति हूँ। मैंने जो जमा नहीं किया, उसे निकालता हूँ और जो नहीं बोया, उसे काटता हूँ।
सब लोगों ने उनकी प्रशंसा की। वे उनके मुख से निकले अनुग्रहपूर्ण शब्द सुन कर अचम्भे में पड़ गए, और पूछने लगे, “क्या यह यूसुफ के पुत्र नहीं हैं?”
आपके मुख से कोई अश्लील बात नहीं, बल्कि ऐसे शब्द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्याण में सहायक हों।