सुलेमान ने प्रभु के भवन की ये वस्तुएं भी बनाई थीं : स्वर्ण वेदी और स्वर्ण मेज, जिस पर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
लैव्यव्यवस्था 24:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तुम उनको दो पंिक्तयों में प्रभु के सम्मुख शुद्ध स्वर्ण की मेज पर रखना। प्रत्येक पंिक्त में छ: रोटियां होंगी। पवित्र बाइबल उन्हें दो पँक्तियों में सुनहरी मेज़ पर यहोवा के सामने रखो। हर एक पँक्ति में छ: रोटियाँ होंगी। Hindi Holy Bible तब उनकी दो पांति करके, एक एक पांति में छ: छ: रोटियां, स्वच्छ मेज पर यहोवा के साम्हने धरना। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब उनकी दो पंक्तियाँ करके, एक एक पंक्ति में छ: छ: रोटियाँ, स्वच्छ मेज पर यहोवा के सामने धरना। नवीन हिंदी बाइबल तू उन्हें यहोवा के सामने छः-छः की दो पंक्तियों में शुद्ध सोने की मेज पर रखना। सरल हिन्दी बाइबल तुम इन्हें याहवेह के सामने कुन्दन की मेज़ पर क्रमानुसार दो पंक्तियों में रखना; हर एक पंक्ति में छः-छः. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब उनकी दो पंक्तियाँ करके, एक-एक पंक्ति में छः छः रोटियाँ, स्वच्छ मेज पर यहोवा के सामने रखना। |
सुलेमान ने प्रभु के भवन की ये वस्तुएं भी बनाई थीं : स्वर्ण वेदी और स्वर्ण मेज, जिस पर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
हारून-वंशीय ये पुरोहित प्रतिदिन सबेरे और सन्ध्या समय प्रभु के लिए अग्नि-बलि चढ़ाते हैं, सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते हैं। वे कुन्दन की मेज पर भेंट की रोटी रखते हैं। वे स्वर्ण दीपाधार के दीये नियमित रूप से सन्ध्या समय जलाते हैं। इस प्रकार हम अपने प्रभु परमेश्वर के आदेश का पालन करते हैं; किन्तु तुमने उसको त्याग दिया।
राजा सुलेमान ने परमेश्वर के भवन की ये वस्तुएं भी बनाईं: स्वर्ण वेदी और मेज, जिसपर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
यह धनराशि “अर्पण की रोटी” , नित्य अन्न-बलि, नित्य अग्नि-बलि, विश्राम-दिवस, नवचन्द्र पर्व, निर्धारित त्योहार, पवित्र अर्पण, इस्राएली कौम के प्रायश्चित के लिए की जानेवाली पाप-बलि, तथा हमारे परमेश्वर के भवन के सब कार्यों में व्यय की जाएगी।
‘इसी प्रकार हम−पुरोहित, उपपुरोहित और जनता−चिट्ठी डालकर यह निश्चय करते हैं : इस्राएल के समस्त पितृकुल प्रतिवर्ष अपने नियत समय पर प्रभु परमेश्वर की वेदी पर अग्नि प्रज्वलित करने के लिए लकड़ी लाएंगे; जैसा वेदी की अग्नि के विषय में व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखा है।
वह लकड़ी की वेदी के समान था। वह डेढ़ मीटर ऊंचा, एक मीटर लम्बा और एक मीटर चौड़ा था। उसके कोने, उसका आधार और उसके अलंग लकड़ी के थे। उसने मुझसे कहा, ‘यह प्रभु के सम्मुख की मेज है।’
एक शिविर खड़ा कर दिया गया। उसके अगले कक्ष में दीपाधार था, मेज थी और भेंट की रोटियाँ थीं। यह पवित्र-स्थान कहलाता था।