लैव्यव्यवस्था 2:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पुरोहित मींजकर निकाले हुए कुछ दाने, तेल और उसके सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाले भाग के रूप में जलाएगा। यह प्रभु को अग्नि में अर्पित बलि है। पवित्र बाइबल याजक को चाहिए कि वह स्मृति भेंटके रूप में दले गए अन्न के कुछ भाग, तेल और इस पर रखे पूरे लोबान को जलाए। यह यहोवा को आग से चढ़ाई भेंट है। Hindi Holy Bible और याजक सींजकर निकाले हुए अन्न को, और तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और याजक मींजकर निकाले हुए अन्न को, और तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे। नवीन हिंदी बाइबल याजक मींजकर निकाले हुए उसके कुछ दानों को, तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाले भाग के रूप में जला दे। वह यहोवा के लिए अग्नि में अर्पित बलि है। सरल हिन्दी बाइबल पुरोहित इसके स्मरण के लिए निर्धारित अंश, छिलका निकाला गया अन्न, तेल और इसके सारे लोबान के साथ जलाकर अग्निबलि के रूप में याहवेह को भेंट कर दे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और याजक मींजकर निकाले हुए अन्न को, और तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे। |
प्रभु का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि उसने पीड़ित व्यक्तियों को शुभ-सन्देश सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है; स्वामी प्रभु ने मुझे इस कार्य के लिए भेजा है कि मैं घायल हृदयवालों को स्वस्थ करूं, बन्दियों को स्वतंत्रता का सन्देश सुनाऊं, और जो कारागार में हैं उनके लिए कारागार के द्वार खोल दूं।
पर वह पशु की अंतड़ियों और पैरों को जल से धोएगा। पुरोहित अग्नि-बलि के लिए, प्रभु को अग्नि में अर्पित सुखद सुगन्ध के रूप में, सम्पूर्ण बलि को वेदी पर जलाएगा।
तू उनको प्रथम फल के चढ़ावे के रूप में प्रभु को चढ़ाना; किन्तु वे सुखद सुगन्ध के लिए वेदी पर नहीं चढ़ाए जाएँगे।
‘यदि तू प्रभु को प्रथम फल की अन्न-बलि चढ़ाएगा, तो अपनी प्रथम फल की अन्न-बलि के लिए हरी बालों को मींजकर नए दाने निकालना, और उन्हें अग्नि में भूंजकर चढ़ाना।
पुरोहित अन्न-बलि में से स्मरण दिलाने वाला भाग निकालकर वेदी पर जलाएगा कि यह अन्न-बलि प्रभु को अग्नि में अर्पित सुखद सुगन्ध ठहरे।
मसीह ने इस पृथ्वी पर रहते समय पुकार-पुकार कर और आँसू बहा-बहा कर परमेश्वर से, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थना और अनुनय-विनय की। श्रद्धाभक्ति के कारण उनकी प्रार्थना सुनी गयी।