यूसुफ ने उन्हें अपने पिता के घुटनों के बीच में से हटाया और भूमि की ओर सिर झुकाकर अभिवादन किया।
लैव्यव्यवस्था 19:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रत्येक व्यक्ति अपने माता-पिता का आदर करेगा। तुम मेरे विश्राम दिवसों का पालन करोगे। मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ। पवित्र बाइबल “तुम में से हर एक व्यक्ति को अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए और मेरे विश्राम के विशेष दिनों को मानना चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। Hindi Holy Bible तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्राम दिनों को मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तुम अपनी अपनी माता और अपने अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्राम दिनों को मानना : मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। नवीन हिंदी बाइबल तुममें से प्रत्येक अपने माता-पिता का आदर करे, और मेरे विश्रामदिनों को माने; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। सरल हिन्दी बाइबल “ ‘तुममें से हर एक अपने माता-पिता का सम्मान करे और मेरे शब्बाथों का पालन करे; मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तुम अपनी-अपनी माता और अपने-अपने पिता का भय मानना, और मेरे विश्रामदिनों को मानना: मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। |
यूसुफ ने उन्हें अपने पिता के घुटनों के बीच में से हटाया और भूमि की ओर सिर झुकाकर अभिवादन किया।
तूने उन पर अपने पवित्र विश्राम-दिवस का ज्ञान प्रकट किया था कि वे उसको मानें; तूने उनको आदेश दिया था कि जो आज्ञाएं, संविधियां और व्यवस्था तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उन्हें सौंपी हैं, वे उनका पालन करें।
देखो, मैंने तुम्हें विश्राम-दिवस प्रदान किया है। इसलिए मैं तुम्हें छठे दिन दो दिन के लिए भोजन प्रदान करता हूं। अत: प्रत्येक व्यक्ति अपने स्थान पर रहे। सातवें दिन कोई भी व्यक्ति अपने निवास-स्थान से बाहर न जाये।’
‘अपने माता-पिता का आदर कर जिससे तेरी आयु उस भूमि पर दीर्घ हो सके जिसे तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे प्रदान कर रहा है।
मेरे पुत्र, जिसने तुझे उत्पन्न किया है, उस पिता की बात पर ध्यान देना; जब तेरी मां बूढ़ी हो जाए तब भी उसकी उपेक्षा मत करना।
जो आंख पिता को टेढ़ी नजर से देखती है, मां की आज्ञा को अनदेखा करती है, उसको घाटी के कौए खोद-खोद कर निकालेंगे, उसको गिद्ध के बच्चे खाएंगे।
यदि तू विश्राम-दिवस को अपवित्र नहीं करेगा, मेरे पवित्र दिवस पर अपना दैनिक काम-धन्धा नहीं करेगा, और विश्राम-दिवस को आनन्द-पर्व मानेगा, उसको प्रभु का पवित्र और सम्मानीय दिन समझेगा; यदि तू अपने मार्ग पर अपने मन के अनुरूप आचरण नहीं करेगा, अपना काम-काज नहीं करेगा, और न व्यर्थ बातों में उसको गुजारेगा और यों उसका सम्मान करेगा;
‘मैंने उनको विश्राम-दिवस भी प्रदान किया, जो मेरे और उनके मध्य एक चिह्न है कि उनको ज्ञात हो कि मैं प्रभु ही उनको पवित्र करता हूं।
मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूँ, इसलिए अपने आपको पवित्र बनाओ, और पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ। तुम भूमि पर रेंगनेवाले जीव-जन्तुओं के द्वारा अपने आपको अशुद्ध मत करना।
तुम पांचवें वर्ष में उनके फल खा सकते हो, जिससे वे तुम्हारे लिए फल की भरपूर फसल उत्पन्न करें। मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
तुम मेरे विश्राम-दिवसों का पालन करना; मेरे पवित्र-स्थान के प्रति श्रद्धा रखना। मैं प्रभु हूँ।
‘तुम ओझों अथवा भूत-प्रेत साधनेवालों की ओर उन्मुख मत होना। उन्हें मत खोजना, अन्यथा उनके द्वारा तुम अपवित्र हो जाओगे। मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
तुम्हारे मध्य में निवास करने वाला प्रवासी व्यक्ति तुम्हारे लिए देशी भाई अथवा बहिन के सदृश होगा। तुम उससे अपने समान प्रेम करना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में प्रवासी थे। मैं प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
छ: दिन तक तो कार्य किया जाएगा; किन्तु सातवां दिन परम विश्राम-दिवस, पवित्र समारोह का दिन है। तुम उस दिन कोई कार्य मत करना। वह तुम्हारे सब निवास स्थानों में प्रभु के हेतु विश्राम-दिवस माना जाएगा।
तुम मेरे विश्राम-दिवसों का पालन करना और मेरे पवित्र-स्थान के प्रति श्रद्धा रखना। मैं प्रभु हूँ।
प्रभु कहता है, ‘पुत्र अपने पिता का आदर करता है, सेवक अपने स्वामी से डरता है। यदि मैं तुम्हारा पिता हूं तो कहां है मेरा आदर? यदि मैं तुम्हारा स्वामी हूं तो तुम मुझसे डरते क्यों नहीं हो? मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु तुमसे यों कहता हूं। ओ पुरोहितो, मेरे नाम को अपमानित करने वालो! तुम कहते हो, “हमने तेरे नाम का अपमान कैसे किया?”
“अपने माता-पिता का अनादर करने वाला व्यक्ति शापित है।” सब लोग प्रत्युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”
‘अपने माता-पिता का आदर कर, जैसी तेरे प्रभु परमेश्वर ने तुझे आज्ञा दी है, जिससे तेरी आयु दीर्घ हो सके, और उस भूमि पर तेरा भला हो जिसे तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे प्रदान कर रहा है।
हमारे माता-पिता हमें ताड़ना देते थे और हम उनका सम्मान करते थे, तो हमें कहीं अधिक तत्परता से अपने आत्मिक पिता की अधीनता स्वीकार करनी चाहिए, जिससे हमें जीवन प्राप्त हो।