तब यदि तेरे निज लोग इस्राएली सामूहिक रूप से अथवा कोई भी मनुष्य निजी रूप से अपने हृदय में पश्चात्ताप करेगा, और इस भवन की ओर अपने हाथ फैलाएगा और तुझसे प्रार्थना तथा विनती करेगा,
लैव्यव्यवस्था 13:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पुरोहित सातवें दिन उसकी पुन: जांच करेगा। यदि रोगग्रस्त भाग हलका पड़ गया है, और वह त्वचा पर नहीं फैला है तो पुरोहित उसे शुद्ध घोषित करेगा। यह केवल पपड़ी है। वह मनुष्य अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाएगा। पवित्र बाइबल सात दिन बाद याजक को उस व्यक्ति की फिर जांच करनी चाहिए। यदि घाव सूख गया हो और चरम पर फैला न हो, तो याजक को घोषणा करनी चाहिए कि व्यक्ति शुद्ध है। वह केवल एक खुरंड है। तब रोगी को अपने वस्त्र धोने चाहिए और फिर से शुद्ध होना चाहिए। Hindi Holy Bible और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए। नवीन हिंदी बाइबल सातवें दिन याजक उसे फिर से जाँचे, और यदि देखे कि रोग का स्थान हल्का पड़ गया है तथा रोग त्वचा पर फैला नहीं है, तो याजक उसे शुद्ध ठहराए, क्योंकि वह तो केवल पपड़ी ही है; वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध ठहरे। सरल हिन्दी बाइबल सातवें दिन पुरोहित दोबारा उस व्यक्ति का निरीक्षण करे; यदि संक्रमित स्थान का सुधार होने के कारण उसका रंग हल्का हो गया है, और वह त्वचा पर नहीं फैला है; तो पुरोहित उसे शुद्ध घोषित कर दे; यह एक चकत्ते मात्र है. वह व्यक्ति अपने वस्त्र धो ले और शुद्ध हो जाए. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए। |
तब यदि तेरे निज लोग इस्राएली सामूहिक रूप से अथवा कोई भी मनुष्य निजी रूप से अपने हृदय में पश्चात्ताप करेगा, और इस भवन की ओर अपने हाथ फैलाएगा और तुझसे प्रार्थना तथा विनती करेगा,
कौन यह दावा कर सकता है, कि मैंने अपना हृदय शुद्ध कर लिया है, मैं पाप से मुक्त होकर पवित्र हो गया हूँ?
निश्चय ही संसार में कोई ऐसा धार्मिक व्यक्ति नहीं है जो सदा भलाई ही करता है, और कभी पाप नहीं करता।
वह मुड़े हुए सरकंडे को तोड़ेगा नहीं, वह टिमाटिमाते हुए दीपक को बुझाएगा नहीं। वह सच्चाई से न्याय की स्थापना करेगा।
उनकी लोथ को ले जानेवाला व्यक्ति अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
उसकी लोथ को खानेवाला व्यक्ति अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उसकी लोथ को ले जाने वाला व्यक्ति भी अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।
‘जब किसी मनुष्य के शरीर की त्वचा पर सूजन, अथवा पपड़ी या दाग हो, उसकी त्वचा पर कुष्ठ-रोग के सदृश लक्षण दिखाई दें तो वह पुरोहित हारून अथवा उसके पुरोहित पुत्रों में किसी एक के पास लाया जाएगा।
पुरोहित सातवें दिन उसकी जांच करेगा। यदि उसकी दृष्टि में रोग ज्यों का त्यों है, त्वचा पर नहीं फैला है तो पुरोहित उसको सात दिन तक और बन्द रखेगा।
परन्तु पुरोहित की शुद्धि-घोषणा के हेतु जांच कराने के पश्चात् यदि पपड़ी त्वचा पर सर्वत्र फैल जाती है तो वह व्यक्ति पुरोहित के पास दूसरी बार उपस्थित होगा।
शुद्ध होने वाला व्यक्ति अपने वस्त्र धोएगा, सब बाल मुंड़वाकर जल में स्नान करेगा, और वह शुद्ध हो जाएगा। इसके पश्चात् वह पड़ाव में प्रवेश करेगा, किन्तु सात दिन तक अपने तम्बू के बाहर निवास करेगा।
यदि कोई विश्वास में दुर्बल है, तो आप उसकी पापशंकाओं पर विवाद किये बिना उसका स्वागत करें।
प्रिय भाइयो और बहिनो! हमें इस प्रकार की प्रतिज्ञाएं मिली हैं। इसलिए हम शरीर और मन के हर प्रकार के दूषण से अपने को शुद्ध करें और परमेश्वर पर श्रद्धा-भक्ति रखते हुए पवित्रता की परिपूर्णता तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहें।
परन्तु इस्राएलियों ने प्रभु के साथ भ्रष्ट व्यवहार किया; वे अपने कलंक के कारण उसके पुत्र- पुत्रियां नहीं रहे। वे विकृत और कुटिल पीढ़ी के लोग हैं।
इसलिए हम अपने दोषी अंत:करण से शुद्ध होने के लिए हृदय पर छिड़काव कर और अपने शरीर को स्वच्छ जल से धो कर निष्कपट हृदय से तथा पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर के पास आएं।
वे बाह्य नियम हैं जो खान-पान एवं नाना प्रकार की शुद्धीकरण-विधियों से सम्बन्ध रखते हैं और पुनर्निर्माण के युग के आगमन तक ही लागू हैं।
हम सब बारम्बार गलत काम करते हैं। जो कभी गलत बात नहीं कहता, वह पहुँचा हुआ मनुष्य है और वह अपने पूर्ण शरीर को नियंत्रण में रख सकता है।