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लूका 16:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तब प्रबंधक ने मन-ही-मन यह कहा, ‘मैं क्‍या करूँ? स्‍वामी मुझ से प्रबंधक का पद छीन रहा है। मिट्टी खोदने का मुझ में बल नहीं; भीख माँगने में मुझे लज्‍जा आती है।

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पवित्र बाइबल

“इस पर प्रबन्धक ने मन ही मन कहा, ‘मेरा स्वामी मुझसे मेरा प्रबन्धक का काम छीन रहा है, सो अब मैं क्या करूँ? मुझमें अब इतनी शक्ति भी नहीं रही कि मैं खेतों में खुदाई-गुड़ाई का काम तक कर सकूँ और माँगने में मुझे लाज आती है।

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Hindi Holy Bible

तब भण्डारी सोचने लगा, कि अब मैं क्या करूं क्योंकि मेरा स्वामी अब भण्डारी का काम मुझ से छीन ले रहा है: मिट्टी तो मुझ से खोदी नहीं जाती: और भीख मांगने से मुझे लज्ज़ा आती है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब भण्डारी सोचने लगा, ‘अब मैं क्या करूँ? क्योंकि मेरा स्वामी अब भण्डारी का काम मुझ से छीन रहा है। मिट्टी तो मुझ से खोदी नहीं जाती; और भीख माँगने में मुझे लज्जा आती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

तब प्रबंधक ने अपने मन में कहा, ‘मैं क्या करूँ, क्योंकि मेरा स्वामी मुझसे प्रबंधक का कार्य छीन रहा है? मिट्टी की खुदाई करने की शक्‍ति मुझमें नहीं है और भीख माँगने में मुझे लज्‍जा आती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

“भंडारी मन में विचार करने लगा, ‘अब मैं क्या करूं? मालिक मुझ से भंडारी का पद छीन रहा है. मेरा शरीर इतना बलवान नहीं कि मैं भूमि खोदने का काम करूं और लज्जा के कारण मैं भीख भी न मांग सकूंगा.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब भण्डारी सोचने लगा, ‘अब मैं क्या करूँ? क्योंकि मेरा स्वामी अब भण्डारी का काम मुझसे छीन रहा है: मिट्टी तो मुझसे खोदी नहीं जाती; और भीख माँगने से मुझे लज्जा आती है।

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लूका 16:3
26 क्रॉस रेफरेंस  

हामान अन्‍त:पुर में आया। सम्राट ने उससे पूछा, ‘हामान, बताओ, उस मनुष्‍य के साथ क्‍या करना चाहिए, जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्‍मान देना चाहते हैं?’ हामान ने हृदय में सोचा, ‘मेरे अतिरिक्‍त और कौन व्यक्‍ति है, जिससे महाराज प्रसन्न हैं, और जिसको सम्‍मान देना चाहते हैं?’


आलसी मनुष्‍य के हृदय में इच्‍छाएं उत्‍पन्न होती हैं, पर वह उनको पूरा नहीं कर पाता; किन्‍तु कठोर परिश्रम करनेवाले की सब अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।


आलसी मनुष्‍य के मार्ग में, झाड़-झंखाड़ उगे होते हैं, पर निष्‍कपट व्यक्‍ति का मार्ग राजमार्ग के सदृश समतल होता है।


जो मनुष्‍य अपने काम में सुस्‍ती करता है, वह मानो काम बिगाड़नेवाले का भाई है।


आलस्‍य करने से मनुष्‍य गहरी नींद में सो जाता है, निस्‍सन्‍देह आलसी मनुष्‍य सदा भूखा ही रहता है।


आलसी किसान खरीफ के मौसम में हल नहीं जोतता, इसलिए जब वह कटनी के समय फसल खोजता है, तब उसके हाथ कुछ नहीं लगता।


यदि मालिक गुलाम को बचपन से ही लाड़-प्‍यार से पालता है, तो गुलाम बड़ा होने पर उसकी धन-सम्‍पत्ति का उत्तराधिकारी बन बैठता है।


तुम दण्‍ड-दिवस पर क्‍या करोगे? सुदूर दिशा से आनेवाले विनाश के तूफान के समय तुम किसके पास सहायता के लिए भागकर जाओगे? तुम अपना धन कहाँ छोड़ जाओगे?


नबी झूठी नबूवत करते हैं; पुरोहित उनकी हां में हां मिलाते हैं। मेरे निज लोगों को यह पसन्‍द भी है। परन्‍तु जब अन्‍त आएगा तब तुम क्‍या करोगे?


वे प्रभु के निर्धारित पर्व-दिन पर, अथवा यात्रा-पर्व के दिन क्‍या करेंगे?


“सन्‍ध्‍या होने पर अंगूर-उद्यान के मालिक ने अपने प्रबन्‍धक से कहा, ‘मजदूरों को बुलाओ। अंत में आने वालों से लेकर पहले आने वालों तक, सब को मजदूरी दे दो।’


वे यरीहो नगर पहुँचे। जब येशु अपने शिष्‍यों तथा एक विशाल जनसमूह के साथ यरीहो से निकल रहे थे, तब तिमाई का पुत्र बरतिमाई, एक अन्‍धा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा हुआ था।


उसने अपने मन में इस प्रकार विचार किया, ‘अब मैं क्‍या करूँ? मेरे पास अपनी उपज रखने के लिए जगह नहीं है।’


इस पर स्‍वामी ने उसे बुला कर कहा, ‘यह मैं तुम्‍हारे विषय में क्‍या सुन रहा हूँ, अपने प्रबंध का हिसाब-किताब दो, क्‍योंकि तुम अब से मेरे प्रबंधक नहीं रह सकते।’


उसके भवन के फाटक पर लाजर नामक एक गरीब आदमी पड़ा रहता था। उसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ था।


वह गरीब मनुष्‍य एक दिन मर गया और स्‍वर्गदूतों ने उसे ले जा कर अब्राहम की गोद में पहुँचा दिया। धनवान मनुष्‍य भी मरा और उसे दफनाया गया।


हाँ, अब समझ में आया कि मुझे क्‍या करना चाहिए, जिससे प्रबंधक-पद से हटाए जाने के बाद भी लोग अपने घरों में मेरा स्‍वागत करें।’


बहुत समय तक वह अस्‍वीकार करता रहा। बाद में उसने मन-ही-मन यह कहा, ‘मैं न तो परमेश्‍वर से डरता और न किसी मनुष्‍य की परवाह करता हूँ,


उसके पड़ोसी और वे लोग, जो उसे पहले भीख माँगते देखा करते थे, बोले, “क्‍या यह वही नहीं है, जो बैठकर भीख माँगा करता था?”


लोग एक मनुष्‍य को ले जा रहे थे, जो जन्‍म से लँगड़ा था। वे उसे प्रतिदिन ला कर मन्‍दिर के ‘सुन्‍दर’ नामक फाटक के पास छोड़ देते थे, जिससे वह मन्‍दिर के अन्‍दर जाने वालों से भीख माँग सके।


उठ और नगर में जा। तुझे जो करना है, वह तुझे बताया जायेगा।”


अब हमारे सुनने में आता है कि आप में से कुछ लोग आलस्‍य का जीवन बिताते हैं। वे स्‍वयं काम नहीं करते और दूसरों के काम में बाधा डालते हैं।