रोमियों 7:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इस प्रकार, मेरा अनुभव यह है कि जब मैं भलाई करने की इच्छा करता हूँ, तो बुराई ही कर पाता हूँ। पवित्र बाइबल इसलिए मैं अपने में यह नियम पाता हूँ कि मैं जब अच्छा करना चाहता हूँ, तो अपने में बुराई को ही पाता हूँ। Hindi Holy Bible सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इस प्रकार मैं यह व्यवस्था पाता हूँ कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूँ, तो बुराई मेरे पास आती है। नवीन हिंदी बाइबल अतः मैं यह सिद्धांत पाता हूँ कि यद्यपि मैं भलाई करना चाहता हूँ, फिर भी मुझमें बुराई ही है; सरल हिन्दी बाइबल यहां मुझे इस सच का अहसास होता है कि जब भी मैं भलाई के लिए उतारू होता हूं, वहां मुझसे बुराई हो जाती है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तो मैं यह व्यवस्था पाता हूँ कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूँ, तो बुराई मेरे पास आती है। |
असंख्य बुराइयों ने मेरे विरुद्ध घेरा डाला है, कुकर्मों ने मुझे दबा दिया है। अत: मैं दृष्टि ऊपर उठाने में असमर्थ हूँ। कुकर्म मेरे सिर के बालों से कहीं अधिक हैं। मेरा हृदय हताश हो गया है।
येशु पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर यर्दन नदी के तट से लौटे, तो आत्मा उन्हें निर्जन प्रदेश में ले गया
येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो पाप करता रहता है, वह पाप का गुलाम है।
अब आप लोग अपने मरणशील शरीर में पाप का राज्य स्वीकार नहीं करें और उसकी वासनाओं के अधीन नहीं रहें।
आप लोगों पर पाप का कोई अधिकार नहीं रहेगा। अब आप व्यवस्था के नहीं, बल्कि अनुग्रह के अधीन हैं।
किन्तु मैं अपने शरीर के अंगों में एक अन्य व्यवस्था का अनुभव करता हूँ, जो मेरे अन्तर्मन के नियम से संघर्ष करती है और मुझे पाप के उस नियम के अधीन करती है, जो मेरे अंगों में विद्यमान है।
परमेश्वर ही! हमारे प्रभु येशु मसीह के द्वारा। परमेश्वर को धन्यवाद! सारांश यह, कि मैं अन्तर्मन से परमेश्वर के नियम का, किन्तु साथ ही साथ अपने शरीर से पाप के नियम का पालन करता हूँ।
क्योंकि, ओ मनुष्य! पवित्र आत्मा के विधान ने, जो येशु मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है, तुझ को पाप तथा मृत्यु के नियम से मुक्त कर दिया है।
इसलिए यह आवश्यक था कि वह सभी बातों में अपने भाई-बहिनों† के सदृश बन जायें, जिससे वह परमेश्वर-सम्बन्धी बातों में मनुष्यों के दयालु और विश्वस्त महापुरोहित के रूप में प्रजा के पापों का प्रायश्चित कर सकें।
हमारे महापुरोहित हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि पाप को छोड़ कर सभी बातों में हमारी ही तरह उनकी परीक्षा ली गयी है।
वे उन्हें स्वतन्त्रता का प्रलोभन देते हैं, जब कि वे स्वयं भ्रष्टता के दास हैं; क्योंकि जो जिसके अधीन है, वह उसी का दास है।