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रोमियों 6:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 अब आप लोग अपने मरणशील शरीर में पाप का राज्‍य स्‍वीकार नहीं करें और उसकी वासनाओं के अधीन नहीं रहें।

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पवित्र बाइबल

12 इसलिए तुम्हारे नाशवान् शरीरों के ऊपर पाप का वश न चले। ताकि तुम पाप की इच्छाओं पर कभी न चलो।

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Hindi Holy Bible

12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 इसलिये पाप तुम्हारे नश्‍वर शरीर में राज्य न करे, कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो;

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नवीन हिंदी बाइबल

12 इसलिए पाप तुम्हारे मरणशील देह पर राज्य न करे, ऐसा न हो कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन हो जाओ,

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सरल हिन्दी बाइबल

12 अतःएव तुम अपने मरणशील शरीर में पाप का शासन न रहने दो कि उसकी लालसाओं के प्रति समर्पण करो.

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रोमियों 6:12
35 क्रॉस रेफरेंस  

यदि तू भलाई करे तो क्‍या मैं तुझे ग्रहण न करूंगा? किन्‍तु यदि तू भलाई न करे तो देख, तेरे द्वार पर पाप खड़ा है। वह तेरी कामना कर रहा है। तू उसको अपने वश में कर।’


अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मेरे पग स्‍थिर कर; अधर्म को मुझ पर अधिकार न करने दे।


अपने सेवक को धृष्‍ट पाप करने से रोक; उसे मुझ पर प्रभुत्‍व मत करने दे। तब मैं निरपराध होऊंगा, और बड़े अपराधों से मुक्‍त हो जाऊंगा।


‘यदि किसी पुरुष के सिर के बाल झड़ गए हैं तो वह गंजा है, पर शुद्ध है।


पर यदि तुम उस देश के निवासियों को अपने सम्‍मुख से नहीं निकालोगे, तो वे तुम्‍हारी आंखों में किरकिरी के सदृश और पसलियों में कांटे के समान चुभेंगे। जहाँ तुम निवास करोगे, वहां वे तुम्‍हें तंग करेंगे।


आप प्रभु येशु मसीह को धारण करें और शरीर की वासनाएँ तृप्‍त करने का विचार छोड़ दें।


और जो लोग स्‍वार्थी हैं और सत्‍य से विद्रोह करते हुए अधर्म पर चलते हैं, ये परमेश्‍वर के क्रोध और प्रकोप के पात्र होंगे।


इस प्रकार पाप, मृत्‍यु के माध्‍यम से, राज्‍य करता रहा; किन्‍तु हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा अनुग्रह, धार्मिकता के माध्‍यम से, अपना राज्‍य स्‍थापित करेगा और हमें शाश्‍वत जीवन में ले जायेगा।


आप लोगों पर पाप का कोई अधिकार नहीं रहेगा। अब आप व्‍यवस्‍था के नहीं, बल्‍कि अनुग्रह के अधीन हैं।


क्‍या आप यह नहीं समझते कि आप अपने को आज्ञाकारी दास के रूप में जिसके प्रति अर्पित करते हैं और जिसकी आज्ञा का पालन करते हैं, आप उसी के दास बन जाते हैं? यह दासता चाहे पाप की हो, जिसका परिणाम मृत्‍यु है; चाहे परमेश्‍वर की हो, जिसके आज्ञापालन का परिणाम धार्मिकता है।


जिसने येशु को मृतकों में से जिलाया, यदि उसका आत्‍मा आप लोगों में निवास करता है, तो जिसने येशु मसीह को मृतकों में से जिलाया, वह अपने आत्‍मा द्वारा, जो आप में निवास करता है, आपके नश्‍वर शरीर को भी जीवन प्रदान करेगा।


यदि आप शारीरिक स्‍वभाव के अनुसार ही जीवन बितायेंगे, तो अवश्‍य मर जायेंगे। लेकिन यदि आप आत्‍मा की प्रेरणा से शरीर की प्रवृत्तियों का दमन करेंगे, तो आप को जीवन प्राप्‍त होगा।


हमें जीवित रहते हुए येशु के कारण निरन्‍तर मृत्‍यु का सामना करना पड़ता है, जिससे येशु का जीवन भी हमारे नश्‍वर शरीर में प्रत्‍यक्ष हो जाये।


हम इस तम्‍बू में रहते समय भार से दबते हुए कराहते रहते हैं; क्‍योंकि बिना पुराना वस्‍त्र उतारे हम उसके ऊपर नया धारण करना चाहते हैं; जिससे जो मरणशील है, वह अमर जीवन में विलीन हो जाये


मैं यह कहना चाहता हूँ, आप लोग पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा के अनुसार चलेंगे तो शरीर की वासनाओं को तृप्‍त नहीं करेंगे।


जो लोग येशु मसीह के हैं, उन्‍होंने वासनाओं तथा कामनाओं सहित अपने शारीरिक स्‍वभाव को क्रूस पर चढ़ा दिया है।


हम सभी पहले उन विरोधियों में सम्‍मिलित थे, जब हम अपनी कुप्रवृत्तियों के वशीभूत हो कर अपने शरीर और मन की वासनाओं को तृप्‍त करते थे। हम दूसरों की तरह अपने स्‍वभाव के कारण परमेश्‍वर के कोप के पात्र थे।


तो आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्‍वभाव त्‍याग देना चाहिए, क्‍योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगड़ता जा रहा है।


जब तेरा प्रभु परमेश्‍वर उनको तेरे हाथ में सौंप देगा, और तू उन्‍हें पराजित करेगा, तब तू उन्‍हें निषिद्ध समझकर पूर्णत: नष्‍ट कर देना। उनके साथ सन्‍धि मत करना और न उन पर दया करना।


उन विधर्मियों की तरह जो कि परमेश्‍वर को नहीं जानते, कोई भी वासना के वशीभूत न हो।


तुम युवावस्‍था की वासनाओं से दूर रहो और उन सब के साथ, जो शुद्ध हृदय से प्रभु का नाम लेते हैं, धार्मिकता, विश्‍वास, प्रेम तथा शान्‍ति की साधना करते रहो।


वह हमें यह शिक्षा देती है कि अधार्मिकता तथा विषय-वासना त्‍याग कर हम इस युग-संसार में संयम, न्‍याय तथा भक्‍ति का जीवन बितायें


क्‍योंकि हम भी तो पहले नासमझ, अवज्ञाकारी, भटके हुए, हर प्रकार की वासनाओं और भोगों के वशीभूत थे। हम विद्वेष और ईष्‍र्या में जीवन बिताते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से बैर करते थे।


आप आज्ञाकारी सन्‍तान बन कर अपनी वासनाओं के अनुसार आचरण नहीं करें, जैसा कि पहले किया करते थे जब आप लोगों को ज्ञान नहीं मिला था।


प्रिय भाइयो एवं बहिनो, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्‍मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं।


ये वे लोग हैं जो कुड़बुड़ाते और अपना भाग्‍य कोसते रहते हैं, अपनी दुर्वासनाओं के अनुसार आचरण करते, डींग मारते और लाभ के लिए खुशामद करते हैं।


उन्‍होंने आप से यह कहा है, “अन्‍तिम समय में उपहास करने वाले नास्‍तिक प्रकट होंगे, जो अपनी अधर्मपूर्ण वासनाओं के अनुरूप आचरण करेंगे।”


इसलिए, अब मैं यह कहता हूँ : मैं तुम्‍हारे लिए इस देश के निवासियों को नहीं निकालूँगा। वे तुम्‍हारे बैरी हो जाएँगे। उनके देवता तुम्‍हारे लिए फन्‍दा बन जाएँगे।’


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