प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य का दुराचार बढ़ गया है, और उसके मन के सारे विचार निरन्तर बुराई के लिए ही होते हैं।
यिर्मयाह 18:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘किन्तु वे कहते हैं: “यह बेकार की बात है। हम अपनी योजना के अनुसार चलेंगे, अपने हठी हृदय के अनुसार काम करेंगे, आचरण करेंगे।” पवित्र बाइबल किन्तु यहूदा के लोग उत्तर देंगे, ‘एसी कोशिश करने से कुछ नहीं होगा। हम वही करते रहेंगे जो हम करना चाहते हैं। हम लोगों में हर एक वही करेगा जो हठी और बुरा हृदय करना चाहता है।’” Hindi Holy Bible परन्तु वे कहते हैं, ऐसा नहीं होने का, हम तो अपनी ही कल्पनाओं के अनुसार चलेंगे और अपने बुरे मन के हठ पर बने रहेंगे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु वे कहते हैं, ‘ऐसा नहीं होने का, हम तो अपनी ही कल्पनाओं के अनुसार चलेंगे और अपने बुरे मन के हठ पर बने रहेंगे।’ सरल हिन्दी बाइबल किंतु उनका प्रत्युत्तर होगा, ‘इससे कोई भी लाभ न होगा. क्योंकि हमने अपनी रणनीति पहले ही निर्धारित कर ली है; हममें से हर एक अपने बुरे हृदय की कठोरता के ही अनुरूप कदम उठाएगा.’ ” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “परन्तु वे कहते हैं, ‘ऐसा नहीं होने का, हम तो अपनी ही कल्पनाओं के अनुसार चलेंगे और अपने बुरे मन के हठ पर बने रहेंगे।’ |
प्रभु ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य का दुराचार बढ़ गया है, और उसके मन के सारे विचार निरन्तर बुराई के लिए ही होते हैं।
जब प्रभु को अग्निबलि की सुखद सुगन्ध मिली तब उसने अपने हृदय में कहा, ‘अब मैं मनुष्य के कारण भूमि को कभी शाप न दूंगा। बचपन से ही मनुष्य के मन के विचार बुराई के लिए होते हैं। जैसा मैंने अभी किया है वैसा जीवित प्राणियों का पुन: विनाश न करूंगा।
अभी एलीशा धर्मवृद्धों से बात कर ही रहे थे कि इस्राएल प्रदेश का राजा उनके पास पहुंच गया। राजा ने कहा, ‘प्रभु ने इस विपत्ति को भेजा है। अब मैं प्रभु से क्या आशा करूं?’
तू मार्ग की दूरी के कारण थक गई, पर तूने यह नहीं कहा, ‘यह सब व्यर्थ है।’ तुझे नई पूजा-पद्धति से नई स्फूर्ति प्राप्त हुई, अत: तू नहीं थकी।
मैं विद्रोही कौम की ओर दिन भर हाथ फैलाए रहा, उन्हें बुलाता रहा। यह कौम अपने मन की योजनाओं के अनुसार उस मार्ग पर चलती है, जो भला नहीं है।
फिर भी उन्होंने मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन किया, उनको अनसुना कर दिया। वे सब के सब हठपूर्वक अपने हृदय के अनुसार दुराचरण करते रहे। अत: विधान-उल्लंघन के सब परिणाम उन्हें भुगतने पड़े। मैंने उनसे कहा था कि वे मेरे विधान के अनुसार आचरण करें, परन्तु उन्होंने मेरी बात नहीं मानी।’
किन्तु तुमने तो अपने पूर्वजों को भी पीछे छोड़ दिया; क्योंकि देखो, तुममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने हठीले हृदय के अनुसार दुराचरण करता है, और मेरे वचन को सुनने से इन्कार करता है।
तू काम की तृप्ति के लिए यहां-वहां मत भटक, अपने पैरों को मत थका, और न प्यास से अपना गला सुखा! परन्तु तू कहती है, “नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। मैं अन्य जाति के देवताओं से प्रेम करती हूं; मैं उनके ही पीछे-पीछे जाऊंगी।”
ये मुझ-प्रभु के वचन से घृणा करनेवालों से निरंतर कहते रहते हैं: “मत घबराओ! तुम्हारा भला होगा।” जो आदमी अपने हठी हृदय के अनुसार आचरण करता है, उससे ये कहते हैं, “मत डर, तेरा अनिष्ट नहीं होगा।” ’
‘उन दिनों में यरूशलेम नगर “प्रभु का सिंहासन” कहलाएगा। विश्व की सब जातियां यरूशलेम में प्रभु की उपस्थिति में एकत्र होंगी। वे हठ-पूर्वक अपने हृदय के अनुरूप बुरे मार्ग पर नहीं चलेंगी।
जो हम करते थे, करते हैं, और जो हमारे पूर्वजों ने, राजाओं ने, और हमारे उच्चाधिकारियों ने यहूदा प्रदेश के नगरों में, यरूशलेम की गलियों में किया था, वह करते रहेंगे। हम आकाश की रानी की मन्नतें मानेंगे, उसको धूप जलाएंगे, और उसको पेयबलि चढ़ाएंगे। उन दिनों में हम सुख-समृद्धि से रहते थे, पेट भर रोटी खाते थे, और हम पर कोई विपत्ति नहीं आई थी।
मैंने उन पर प्रहरी नियुक्त किए कि वे चेतावनी के लिए बिगुल बजाएं। परन्तु यरूशलेम-निवासी कहते हैं, “हम चेतावनी पर ध्यान नहीं देंगे!”
परन्तु उन्होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया, और न ही उस पर कान दिया। वे मनचाहे मार्ग पर चलते रहे, अपने हठीले हृदय के अनुरूप दुराचरण करते रहे। उनके कदम मेरी ओर आगे नहीं बढ़े, बल्कि पीछे हट गए।
तब प्रभु ने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, ये हड्डियां मानो इस्राएल के सब वंशज हैं। देख, वे कहते हैं, “हमारी हड्डियां सूख गईं। हमारी आशा टूट गई। हम पूर्णत: नष्ट हो चुके हैं।”
तुमने क्या यह नहीं कहा है, “परमेश्वर की सेवा करना व्यर्थ है। हमने उसके आदेशों का पालन किया, हम स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के सम्मुख शोक-संतप्त चलते रहे। हमें क्या लाभ हुआ?
यदि कोई व्यक्ति इस शपथपूर्ण व्यवस्था के वचन सुनने के पश्चात् मन ही मन अपने को सौभाग्यशाली मानता है, और यह कहता है, “यद्यपि मैं अपने हृदय के हठ के अनुसार चलूंगा, तो भी मेरा कुशल-मंगल होगा” , तो ऐसा विचार गेहूं के साथ घुन को भी पीस डालता है।