यिर्मयाह 17:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘जो मनुष्य अन्यायपूर्ण साधनों से धन-सम्पत्ति संचित करता है, वह उस तीतरनी की तरह है, जो दूसरे पक्षियों के अण्डे सेती है। ऐसे मनुष्य के जीवन-काल में ही धन-सम्पत्ति उसका साथ छोड़ देती है; और अन्त में वह मूर्ख सिद्ध होता है।’ पवित्र बाइबल “कभी कभी एक चिड़िया उस अंडे से बच्चा निकालती है जिसे उसने नहीं दिया। वह व्यक्ति जो धन के लिये ठगता है, उस चिड़िया के समान है। जब उस व्यक्ति की आधी आयु समाप्त होगी तो वह उस धन को खो देगा। अपने जीवन के अन्त में यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह एक मूर्ख व्यक्ति था।” Hindi Holy Bible जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिडिय़ा के दिए हुए अंडों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिड़िया के दिए हुए अण्डों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूढ़ ही ठहरता है। सरल हिन्दी बाइबल जिस प्रकार तीतर उन अण्डों को सेती है जो उसके द्वारा दिए हुए नहीं होते, उस व्यक्ति की स्थिति भी इसी तीतर के सदृश होती है जो धन जमा तो कर लेता है. किंतु अनुचित रीति से ऐसा धन असमय ही उसके हाथ से निकल जाएगा, तथा अपने जीवन के अंत में वह स्वयं मूर्ख प्रमाणित हो जायेगा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जो अन्याय से धन बटोरता है वह उस तीतर के समान होता है जो दूसरी चिड़िया के दिए हुए अण्डों को सेती है, उसकी आधी आयु में ही वह उस धन को छोड़ जाता है, और अन्त में वह मूर्ख ही ठहरता है। |
यह उनकी नियति है जो झूठा भरोसा करते हैं। यह उनका अन्त है जो अपने अंश में मगन रहते हैं। सेलाह
परमेश्वर, तू उन्हें विनाश के गर्त्त में डालेगा; रक्त-पिपासु और कपटी मनुष्य आधी आयु भी व्यतीत न कर पाएंगे। पर मैं तुझ पर ही भरोसा करूंगा।
अचानक प्राप्त हुआ धन घर में टिकता नहीं; पर अपने परिश्रम से थोड़ा-थोड़ा धन एकत्र करनेवाला मनुष्य उसको और बढ़ाता है।
धन का लोभी मनुष्य, जो अन्याय से धन कमाता है, अपने परिवार को संकट में डालता है; पर घूस से घृणा करनेवाला व्यक्ति जीवित रहेगा।
धन-सम्पत्ति चंचल होती है, पलक झपकते वह हाथ से निकल जाती है; मानो उसको पंख उग आते हैं, और वह गरुड़ के समान तीव्र गति से आकाश की ओर उड़ जाती है।
जिस शासक में समझ नहीं है, वह निर्दय अत्याचारी बन जाता है; जो अन्याय के धन से घृणा करता है, वह दीर्घ आयु पाता है।
जो ईमानदार है, उस पर आशिषों की वर्षा होती है; परन्तु जो मनुष्य अति शीघ्र धनवान बनना चाहता है, वह निर्दोष नहीं ठहरता।
कंजूस मनुष्य धन कमाने के लिए तड़पता है; परन्तु वह नहीं जानता है कि वह फिर अभाव का जीवन बिताएगा।
जो धनवान अपना धन ब्याज और मुनाफाखोरी से बढ़ाता है, उसे अपना धन उस मनुष्य के लिए छोड़ना पड़ता है जो गरीबों पर दया करता है।
‘धिक्कार है उसे, जो अधर्म के धन से अपना घर बनाता है, जो अन्याय के धन से ऊंचे-ऊंचे महल बनाता है। धिक्कार है उसे, जो अपने भाई-बन्धु से मुफ्त में अपनी सेवा करवाता है, और उसको मजदूरी नहीं देता।
किन्तु तेरी आंखें किस लिए हैं? तेरे पास हृदय है ... पर किस लिए? अन्याय से लाभ कमाने के लिए, निर्दोष की हत्या करने के लिए, जनता पर अत्याचार और दमन करने के लिए?’
‘बच्चों से बूढ़ों तक, गरीब से अमीर तक हर कोई अन्याय से कमाए गए धन का लोभी बन गया है। नबी से पुरोहित तक सब मनुष्य झूठ का सौदा करते हैं।
अत: मैं उनकी स्त्रियां और उनके खेत विजेता शत्रुओं के हाथ में सौंप दूंगा। क्योंकि छोटे से बड़े तक, हर कोई मनुष्य अन्याय से कमाए गए धन का लोभी बन गया है। नबी से पुरोहित तक सब मनुष्य झूठ का सौदा करते हैं।
प्रभु का यह कथन है: ‘वे सद्आचरण करना जानते ही नहीं। उन्होंने अपने गढ़ों में केवल हिंसा और लूट एकत्र की है।’
मेरे अपने लोगों की स्त्रियों को तुम उनके प्रिय घरों से निकालते हो, तुम उनके बच्चों से मेरी महिमा को छीनते हो।
उनके हाथ में दुष्कर्म हैं, वे कुकर्म करने में निपुण हैं। शासक और न्यायाधीश घूस मांगते हैं। बड़े लोग मनमानी करते हैं। यों ये सब मिलकर कुचक्र रचते हैं।
उस दिन मैं मन्दिर की ड्योढ़ी लांघनेवालों को; अपने मालिक के मकान में हिंसा और छल-कपट करनेवालों को दण्ड दूंगा।’ प्रभु की यही वाणी है।
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: मैं यह कुंडलपत्र प्रेषित करूंगा। यह चोर के घर में तथा मेरे नाम से झूठी शपथ खाने वाले व्यक्ति के घर में प्रवेश करेगा। यह उनके घर में ठहरेगा और लकड़ी तथा पत्थर सहित घर को भस्म कर देगा।’
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तब मैं अदालत में तुम्हारे सम्मुख उपस्थित होऊंगा। मैं इन सब लोगों के विरुद्ध तुरन्त साक्षी दूंगा: झाड़-फूंक करनेवाले ओझा, व्यभिचारी, झूठी शपथ खानेवाले, मजदूर की मजदूरी दबानेवाले, विधवाओं और अनाथों पर अत्याचार करनेवाले, प्रवासी के अधिकारों को छीननेवाले और मुझसे न डरनेवाले।
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग-राज्य का द्वार बन्द कर देते हो; न तो तुम स्वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।
परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा, ‘मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा और तूने जो इकट्ठा किया है, वह अब किसका होगा?’
जो लोग धन बटोरना चाहते हैं और ऐसी मूर्खतापूर्ण तथा हानिकर वासनाओं के शिकार बनते हैं, जो मनुष्यों को पतन और विनाश के गर्त्त में ढकेल देती हैं;
ऐसे लोगों का मुँह बन्द कर देना चाहिए, क्योंकि वे घिनावने लाभ के लिए अनुचित बातें सिखाते हैं और इस प्रकार परिवार के परिवार चौपट कर देते हैं।
उनकी आँखें व्यभिचार से भरी हैं और उन में कभी तृप्त न होनेवाली पाप की भूख बनी हुई है। वे दुर्बल आत्माओं को लुभाते हैं। उनका मन लोभ में प्रशििक्षत हो चुका है। यह अभिशप्त सन्तति
वे लोभ के कारण अपनी मनगढ़न्त बातों द्वारा आप से अनुचित लाभ उठायेंगे। उनकी दण्डाज्ञा का निर्णय बहुत पहले हो चुका है और वह उनका पीछा कर रहा है। उनका विनाश सोया हुआ नहीं है!