स्वामी, जैसे ही मैं आपके पास से प्रस्थान करूंगा, प्रभु का आत्मा आपको अनजान स्थान में ले जाएगा, जिस को मैं नहीं जानता। जब मैं महाराज अहाब के पास पहुँचूंगा, उनको आपके विषय में बताऊंगा और आप उन्हें नहीं मिलेंगे, तब क्या वह मुझे जीवित छोड़ देंगे? आप का यह सेवक बचपन से ही प्रभु का भक्त है।
उन्होंने एलीशा से कहा, ‘हमारे पास, पचास महाबली सेवक हैं। आप अनुमति दीजिए कि वे जाएं, और आपके गुरु की खोज करें। यह सम्भव है कि प्रभु का आत्मा उनको उठाकर ले गया है और उसने उनको किसी पहाड़ पर अथवा घाटी में फेंक दिया हो।’ एलीशा ने कहा, ‘सेवकों को मत भेजो।’
मैंने कहा, “मुझे अपनी अनुचरी बना लो, आओ, हम शीघ्रता करें।” महाराज मुझे अपने कक्ष में ले गए और बोले, “हम तुममें उल्लसित और आनन्दित होंगे, हम अंगूर-रस से अधिक तुम्हारे प्रेम की प्रशंसा करेंगे।” कन्याएँ उचित ही तुमसे प्रेम करती हैं।
जैसे वर्षा के दिन बादलों में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही उसके चारों ओर का प्रभा-मण्डल दिखाई दे रहा था। प्रभु के तेज का रूप मानो ऐसा ही दिखाई दे रहा था। जब मैंने प्रभु के तेज के दर्शन किए, तब मैं श्रद्धा और भक्ति से नतमस्तक हो गया, और मैंने किसी की आवाज सुनी। कोई व्यक्ति मुझसे कह रहा था:
आत्मा ने मुझे उठाया, और वह मुझे प्रभु के भवन के पूर्वी फाटक पर ले गया, जिसका मुंह पूर्व दिशा में है। वहां मैंने देखा कि फाटक के प्रवेश-द्वार पर पच्चीस पुरुष खड़े हैं, और उनमें याजन्याह बेन-अज्जूर और पलत्याह बेन-बनायाह भी हैं, जो लोगों के उच्चाधिकारी हैं।
फिर मैंने परमेश्वर के आत्मा के द्वारा यह दर्शन देखा : आत्मा ने मुझे उठाया और कसदी देश में निष्कासित मेरे जाति-बन्धुओं में मुझे पहुंचा दिया। इसके पश्चात् दर्शन लुप्त हो गया।
प्रभु की सामर्थ्य मुझ पर प्रबल हुई। प्रभु ने अपने आत्मा के माध्यम से मुझे बाहर निकाला और घाटी के मध्य में खड़ा कर दिया। मैंने देखा कि घाटी हड्डियों से भरी है।
मैंने परमेश्वर के दर्शन देखे। परमेश्वर ने अपने दर्शन में मुझे इस्राएल देश में पहुंचाया, और वहां एक अत्यन्त ऊंचे पहाड़ पर खड़ा कर दिया। मैंने देखा कि मेरे सामने नगर के आकार-सा कुछ है।
इसके पश्चात् वह मुझे उत्तरी फाटक से मन्दिर के सम्मुख ले गया। तब मैंने देखा कि प्रभु का भवन प्रभु के तेज से भर गया है। मैं श्रद्धा और भक्ति से भूमि पर मुंह के बल गिरा।
तब उस आकृति ने हाथ के समान कुछ बढ़ाया, और मेरे सिर के बालों का गुच्छा पकड़ लिया, और आत्मा ने मुझे आकाश और भूमि के मध्य उठा लिया। वह मुझे परमेश्वर के दर्शन में यरूशलेम ले गया। मैं ने परमेश्वर के दर्शन में यह देखा कि मैं यरूशलेम के मन्दिर के भीतरी आंगन के प्रवेश-द्वार पर खड़ा हूं जो उत्तर दिशा में है, और जहां ‘ईष्र्या की मूर्ति’ का सिंहासन है, और जिसको देखकर ईष्र्या जाग्रत होती है।