जैसे वर्षा के दिन बादलों में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही उसके चारों ओर का प्रभा-मण्डल दिखाई दे रहा था। प्रभु के तेज का रूप मानो ऐसा ही दिखाई दे रहा था। जब मैंने प्रभु के तेज के दर्शन किए, तब मैं श्रद्धा और भक्ति से नतमस्तक हो गया, और मैंने किसी की आवाज सुनी। कोई व्यक्ति मुझसे कह रहा था:
तब मैंने देखा कि पूर्व दिशा से इस्राएल के परमेश्वर का तेज आया। परमेश्वर के आगमन का स्वर सागरों के गर्जन के सदृश था। परमेश्वर के तेज से पृथ्वी ज्योतिर्मय हो गई।
उसने मुझसे फिर कहा, ‘ओ मानव, क्या तू देख रहा है कि वे क्या कर रहे हैं? इस्राएल का यह कुल मन्दिर में कितने घृणित कार्य कर रहा है! वह मुझे इस पवित्र स्थान से भगा देना चाहता है। परन्तु तू इन से भी अधिक घृणित कार्य देखेगा।’
यरूशलेम नगर के पूर्व में जैतून पहाड़ है। प्रभु उस दिन उस पहाड़ पर खड़ा होगा। तब पूर्व से पश्चिम तक जैतून पहाड़ के दो टुकड़े हो जाएंगे और उनके मध्य एक विस्तृत घाटी हो जाएगी। पर्वत का आधा टुकड़ा उत्तर की ओर और दूसरा आधा टुकड़ा दक्षिण की ओर सरक जाएगा।
“ओ यरूशलेम नगरी! यरूशलेम नगरी! तू नबियों की हत्या करती है और अपने पास भेजे हुए संदेश-वाहकों को पत्थरों से मार डालती है। मैंने कितनी बार चाहा कि तेरी सन्तान को वैसे ही एकत्र कर लूँ, जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे एकत्र कर लेती है, परन्तु तूने मुझे यह करने नहीं दिया।