यह सब भवन नींव से छत तक और प्रभु-भवन के आंगन से बड़े आंगन तक, बहुमूल्य पत्थरों के बने थे। इन पत्थरों को नाप के अनुसार काटा गया था। उनको आमने-सामने आरों से काटा-छांटा गया था।
यहेजकेल 10:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) बाहरी आंगन तक करूबों के पंखों की फड़फड़ाहट सुनाई देने लगी। जैसी आवाज सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बोलने पर होती है, वैसी ही करूबों के पंखों की फड़ाफड़ाहट थी। पवित्र बाइबल तब मैंने करूब (स्वर्गदूतों) के पंखों की फड़फड़ाहट पूरे बाहरी आँगन में सुनी जा सकती थी। बाहरी आँगन में फड़फड़ाहट बड़ी प्रचण्ड थी, वैसी ही जैसी सर्वशक्तिमान परमेश्वर की गरजती वाणी होती है, जब वह बातें करता है। Hindi Holy Bible और करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आंगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान् परमेश्वर के बोलने का सा शब्द था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आँगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान् परमेश्वर के बोलने का सा शब्द था। सरल हिन्दी बाइबल करूबों के पंखों की आवाज बाहरी आंगन तक ऐसे सुनाई देती थी, जैसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आवाज सुनाई देती है, जब वह बोलते हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आँगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बोलने का सा शब्द था। |
यह सब भवन नींव से छत तक और प्रभु-भवन के आंगन से बड़े आंगन तक, बहुमूल्य पत्थरों के बने थे। इन पत्थरों को नाप के अनुसार काटा गया था। उनको आमने-सामने आरों से काटा-छांटा गया था।
उसने पुरोहितों का आंगन, बड़ा आंगन, तथा आंगन के दरवाजे भी बनवाए, और उन दरवाजों को पीतल से मढ़ दिया।
वह स्वर्ग पर, सनातन के स्वर्ग पर सवारी करता है, देखो, वह अपनी वाणी, शक्तिशाली वाणी सुनाता है।
तीसरे दिन के प्रात:काल मेघ-गर्जन हुआ, विद्युत चमकी। एक सघन मेघ पहाड़ पर उतरा और नरसिंगे का इतना घोर स्वर सुनाई दिया कि वे लोग भी कांप उठे जो तम्बुओं के भीतर थे।
जैसे-जैसे नरसिंगों का स्वर तीव्र होता गया, मूसा परमेश्वर से बोले और उसने मेघ-गर्जन से मूसा को उत्तर दिया।
तत्पश्चात् मैंने स्वामी की यह वाणी सुनी, ‘मैं किस को भेजूं? हमारी ओर से कौन जाएगा?’ मैंने कहा, ‘मैं प्रस्तुत हूं, मुझे भेज।’
जब वे चलते थे तब उनके पंखों की आवाज ऐसी सुनाई पड़ती थी मानो सागर का गर्जन हो, अथवा सर्वशक्तिमान परमेश्वर का स्वर हो या सेना का कोलाहल हो। जब जीवधारी रुककर खड़े होते थे तब वे अपने पंख नीचे कर लेते थे।
उसने सूती वस्त्र पहिने हुए लिपिक को आदेश दिया, ‘करूबों के मध्य से, घूमते हुए पहियों के बीच से अंगारे उठा।’ लिपिक तुरन्त भीतर चला गया, और एक पहिए के पास खड़ा हो गया।
तत्पश्चात् वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया। वहां मैंने यह देखा: आंगन के चारों ओर कमरे और एक फर्श है। फर्श पर तीस कमरे बने हुए हैं।
तब वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया। वहाँ उसने मुझे आंगन के चारों कोनों में फिराया। आंगन के हर कोने में एक ओट बना था।