‘अब तू विद्रोही इस्राएली कुल से यह कह : क्या तुम अब भी इस पहेली और दृष्टांत का अर्थ नहीं समझे? सुनो, इसका यह अर्थ है : बेबीलोन देश का राजा यरूशलेम में आया। उसने यरूशलेम के राजा, और उसके उच्चाधिकारियों को बन्दी बनाया, और उनको अपने देश में ले गया।
यहेजकेल 1:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (राजा यहोयाकीन की कैद का पांचवां वर्ष था।) उसी महीने की पांचवीं तारीख को Hindi Holy Bible यहोयाकीम राजा की बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे महीने के पांचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तीर पर, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यहोयाकीन राजा की बँधुआई के पाँचवें वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तट पर, सरल हिन्दी बाइबल —यह राजा यहोयाकिन के बंधुआई के पांचवें वर्ष के चौथे माह के पांचवें दिन की घटना है— इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यहोयाकीन राजा की बँधुआई के पाँचवें वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तट पर, |
‘अब तू विद्रोही इस्राएली कुल से यह कह : क्या तुम अब भी इस पहेली और दृष्टांत का अर्थ नहीं समझे? सुनो, इसका यह अर्थ है : बेबीलोन देश का राजा यरूशलेम में आया। उसने यरूशलेम के राजा, और उसके उच्चाधिकारियों को बन्दी बनाया, और उनको अपने देश में ले गया।
निष्कासन के सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन की यह घटना है। इस्राएली राष्ट्र के कुछ धर्मवृद्ध मेरे पास आए। वे मेरे सामने बैठ गए। उन्होंने मेरे माध्यम से प्रभु की इच्छा पूछी।
निष्कासन के दसवें वर्ष के दसवें महीने की बारहवीं तारीख को मुझे प्रभु का यह सन्देश मिला। प्रभु ने मुझ से कहा,
निष्कासन के सत्ताईसवें वर्ष के पहले महीने की पहली तारीख को प्रभु का यह सन्देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझसे कहा,
निष्कासन के ग्यारहवें वर्ष के तीसरे महीने की पहली तारीख को प्रभु का यह सन्देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझसे कहा,
बेबीलोन में निष्कासन के बारहवें वर्ष के दसवें महीने की पांचवीं तारीख को एक आदमी मेरे पास आया। वह यरूशलेम नगर से प्राण बचा कर भाग आया था। उसने मुझ से कहा, ‘यरूशलेम नगर का पतन हो गया।’
हमारे निष्कासन का पच्चीसवां वर्ष था। यरूशलेम नगर के पतन को चौदह वर्ष हो चुके थे। इसी वर्ष के आरम्भ में, पहले महीने की दसवीं तारीख को प्रभु की सामर्थ्य मुझ पर प्रबल हुई, और वह मुझे वहां लाया।
निष्कासन के छठे वर्ष के छठे महीने की पांचवीं तारीख की यह घटना है। मैं अपने घर में बैठा था। यहूदा प्रदेश के धर्मवृद्ध मेरे सामने बैठे थे। उसी समय स्वामी-प्रभु की सामर्थ्य मुझ पर प्रकट हुई,